रथोत्सव के पहले दिन महिलाओं ने पीले वस्त्र पहनकर कर डांडिया रास किया। शोभायात्रा में भगवान के रथ को हाथों से खींचने की होड़ लगी रही। इस दौरान हर कोई भगवान की यात्रा का साक्षी बनने के लिए रथ को खींचने के प्रयास में रहा। पहले दिन महिलाएं पीले वस्त्र पहनकर शामिल हुई। वहीं, दूसरे दिन महिलाएं लाल चुंदड़ पहने नजर आएगी। रथ यात्रा के दौरान सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम किए गए। सुरक्षा की दृष्टि से थानाधिकारी घनश्याम सिंह भारी पुलिस बल के साथ तैनात रहे। प्रथम दिन मंदिर प्रांगण से 21 ढोल नगाड़ों की गूंज पर रथोत्सव का आगाज हुआ। जो रथोत्सव की शोभायात्रा में आकर्षण का केंद्र रहे। बांसवाड़ा की अंचल एंड पार्टी की प्रस्तुतियों व आर्केस्ट्रा की धुन पर युवक-युवतियां जम कर थिरके। रथोत्सव में उपेंद्र अणु एंड टीम ने अपनी मधुर आवाज में भजनों की प्रस्तुति दी।
रोशनी से जगमगाया पूरा कस्बा
रथोत्सव से पूर्व पूरा कस्बा रोशनी से जगमगा उठा। शोभायात्रा के मार्ग पर कृत्रिम रंग-बिरंगी रोशनी में जगमगा उठा। तीनों रथों को सोने-चांदी के आभूषणों से सुशोभित किया गया। काष्ठ कला से निर्मित रथ पर सोने-चांदी के छत्रों से आच्छादित थे। पहले दिन की शोभायात्रा का विराम रात्रि 12 बजे पाटूना चौक परिसर में हुआ। शनिवार को तीनों रथों की साज-सज्जा कर कस्बे के मुख्य मार्ग हुए वापस निज मंदिर रात्रि दो बजे पहुंच कर विराम होगा। अंत में नगर सेठ राजमल कोठारी के प्रतिष्ठान पर समापन समारोह होगा। जिसमें रथ यात्रा के दौरान हुई प्रतियोगिताओं के पुरस्कार वितरित किए जाएंगे।
आज ये होंगे कार्यक्रम
दूसरे दिन रात्रि 8.30 बजे पाटूना चौक से भंडार धुलेव के जवानों की सलामी के साथ जिनेंद्र देव की आरती के साथ रथ यात्रा की शुरूआत होगी। पाटूना चौक में विशेष गैर नृत्य का आयोजन होगा। जिसमें पगड़ी धारी पुरुष भाग लेंगे व चुंदड़ साड़ी पहनी महिलाएं तीन ताली गरबा नृत्य करेगी। देर रात्रि रथ यात्रा ऋषभदेव मंदिर पहुंचकर संपन्न होगी।