नाग पंचमी का त्यौहार हिंदू परंपरा में धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक माना जाता है। यह व्रत सावन माह की पंचमी तिथि को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इसके पीछे आस्था से जुड़ी कई मान्यताएँ हैं। नाग पंचमी प्रकृति और उसमें रहने वाले जीवों के बीच आपसी सामंजस्य और प्रेम का प्रतीक है। मान्यता है कि नाग देवता अपने भक्तों की पूजा से प्रसन्न होकर उनकी रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। लेकिन इस बार नाग पंचमी की तिथि को लेकर काफी असमंजस की स्थिति है। अलग-अलग पंचांगों में अलग-अलग तिथियाँ दर्ज होती हैं, जिसके कारण लोग सही तिथि को लेकर असमंजस में हैं।
सही तिथि और इसके पीछे का तर्क
इस वर्ष पंचमी तिथि 28 जुलाई को दोपहर 12 बजे से शुरू होकर 29 जुलाई को दोपहर 3:15 बजे तक रहेगी। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, दिन का समय पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इसलिए, ज़्यादातर जगहों पर नाग पंचमी का त्योहार 29 जुलाई को मनाया जाएगा।
पूजा विधि
नाग पंचमी के दिन, सुबह स्नान करने के बाद, अपने घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर या द्वार के दोनों ओर की दीवारों पर और घर के पूजा कक्ष में नाग देवता का चित्र लगाएँ या मूर्ति रखें। दूध, चावल, रोली और घास से नाग देवता की पूजा करें। इस दिन कच्चे दूध से नाग देवता का अभिषेक करें। ॐ नमः नागाय मंत्र का 5 बार जाप करें। अब अपने परिवार के साथ बैठकर नाग पंचमी की कथा सुनें। नाग पंचमी के दिन नाग को कष्ट पहुँचाना, पेड़ काटना और ज़मीन खोदना पूरी तरह वर्जित है।
नाग पंचमी प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का संदेश है
नाग पंचमी के त्योहार को केवल नागों की पूजा का दिन नहीं समझना चाहिए। बल्कि यह त्योहार प्रकृति और जीवों के बीच आपसी तालमेल और प्रेम को भी प्रदर्शित करता है। कृषि से जुड़े लोगों के लिए नाग पंचमी के त्योहार को बहुत ऊँचा स्थान दिया गया है। नाग देवता वर्षा और भूमि की उर्वरता बनाए रखते हैं। यह त्योहार हमारे पर्यावरण के प्रति आस्था और विश्वास को मज़बूत करता है।
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