राजस्थान के विश्वविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की पेंशन अटकने की खबर आ रही है। जिससे सभी शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ है। साथ ही आपको बता दें कि शिक्षकों की पेंशन में देरी का कारण यह है कि सरकार ने विश्वविद्यालयों को पेंशन देने की जिम्मेदारी दे दी, इसलिए यह समस्या उत्पन्न हुई।
32 विश्वविद्यालयों में 7774 की पेंशन अटकी
राजस्थान में एमडीएस विश्वविद्यालयों से लेकर 32 राज्य वित्तपोषित विश्वविद्यालयों में पेंशन अटकने का मामला सामने आया है। जिसमें लगभग 7774 सेवानिवृत्त शिक्षकों की पेंशन बीच में ही अटक गई है। वहीं आपको बता दें कि सबसे अधिक पेंशन राशि राजस्थान विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षकों की है। जिसके बारे में अनुमान लगाया गया था कि वह राशि लगभग 140 करोड़ रुपये है। वहीं एमडीएस विश्वविद्यालय में 50 लाख का अनुमान लगाया गया है।
पेंशन अटकने का कारण
आपको बता दें कि इसमें विश्वविद्यालय के साथ-साथ सरकार की भी लापरवाही सामने आई है कि सरकार ने पेंशन देने का काम विश्वविद्यालयों को सौंप दिया। जिसके चलते पेंशन अटकने की समस्या सामने आई है। इस संबंध में एक बात जो सामने आई है, वह यह है कि शिक्षकों को सात महीने से पेंशन नहीं दी जा रही है। वहीं, छात्रों की कम संख्या के कारण पर्याप्त फीस न मिलने से विश्वविद्यालय फंड की समस्या को लेकर चिंतित है।
सरकार को सालाना 470 करोड़ का भुगतान
सरकार द्वारा नए विश्वविद्यालय खोले जाने से विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएँ आपस में बंट गए हैं। और फीस में रियायत की मांग के चलते 30 साल से भी ज़्यादा समय बीत जाने के बाद भी विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों को पेंशन में भी दिक्कत आ रही है। वहीं, सरकार के लिए सालाना लगभग 470 करोड़ रुपये की पेंशन का भुगतान करना बेहद ज़रूरी है।
इन विश्वविद्यालयों में करोड़ों की पेंशन अटकी
बता दें कि राजस्थान विश्वविद्यालय में 3 हज़ार पेंशनर्स को 140 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। वहीं जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में 1600 पेंशनर्स को 90 करोड़, मोहनलाल व्यास विश्वविद्यालय में 640 को 35 करोड़, इसके अलावा कई अन्य विश्वविद्यालय हैं, जिनमें शिक्षकों की पेंशन अटकी हुई है।
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