हरियाणा के फरीदाबाद सेक्टर-16 में इस बार दशहरे की तैयारियां कुछ खास अंदाज में चल रही हैं। यहां एक विशाल 85 फीट का रावण का पुतला बनाया जा रहा है, जिसे मुस्लिम समुदाय के कारीगरों ने अपने हुनर से तैयार किया है। खास बात ये है कि ये कारीगर नौ पीढ़ियों से इस काम को अंजाम दे रहे हैं, और हर साल दशहरे को और भी यादगार बनाते हैं।
मथुरा के कारीगरों का फरीदाबाद में जादूमथुरा से आए कारीगर अहमद इमरान ने ईटीवी से बातचीत में बताया, “हमने ये काम अपने दादा और पिता से सीखा है। उनकी विरासत को हम गर्व से आगे बढ़ा रहे हैं। हर साल हम फरीदाबाद में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले बनाते हैं। हम ब्रजभूमि मथुरा के रहने वाले हैं, लेकिन हमें कभी ऐसा नहीं लगा कि ये सिर्फ हिंदुओं का त्योहार है। हम इसे अपना त्योहार मानते हैं। ना ही कभी कोई ऐसा वाकया हुआ, जिससे हिंदू-मुस्लिम विवाद का एहसास हुआ।”
85 फीट का रावण, मुंह से निकलेगी आग!अहमद के बेटे इमरान ने बताया, “इस बार हमने दशहरे के लिए 85 फीट का रावण का पुतला तैयार किया है। इसके साथ ही 75-75 फीट के कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले भी बनाए हैं। रावण का पुतला इस तरह डिजाइन किया गया है कि वो युद्ध करता हुआ नजर आएगा। खास बात ये है कि इस बार रावण के मुंह से आग निकलती दिखेगी, जो इसे और भी आकर्षक बनाएगा। रावण के पुतले के पैर 12 फीट के हैं, जो इसकी भव्यता को और बढ़ाते हैं।”
त्योहार जोड़ता है दिल, नहीं बांटताअहमद और इमरान का मानना है कि त्योहार किसी एक धर्म का नहीं, बल्कि पूरे समाज का होता है। वे कहते हैं, “जब हम एक-दूसरे के पर्वों में हिस्सा लेते हैं, तो प्यार और भाईचारे की भावना और गहरी होती है। हमारा ये प्रयास समाज में सहिष्णुता और एकता का संदेश देता है।” फरीदाबाद का ये दशहरा न सिर्फ उत्सव का प्रतीक है, बल्कि ये दिखाता है कि कैसे अलग-अलग समुदाय मिलकर खुशियां मना सकते हैं।
You may also like
(अपडेट) करूर हादसा: विजय की रैली में भगदड़ से 38 की मौत, सुरक्षा खामियों ने उठाए गंभीर सवाल
यूएन में एस. जयशंकर का बड़ा बयान- पाकिस्तान आतंकवाद का ग्लोबल सेंटर
WI vs NEP: नेपाल ने रच दिचा इतिहास, वेस्टइंडीज को 19 रनों से धूल चटाकर हासिल की किसी फुल मेंबर टीम के खिलाफ पहली जीत
कभी आंखों में भर आए आंसू, कभी अपनों को संभाल मुस्कुराई, दुर्गा पूजा के पहले दिन साड़ी में रानी- काजोल ने जीता दिल
जबलपुरः नर्मदा महोत्सव में गूंजेंगे लखवीर सिंह लक्खा, मैथिली ठाकुर और अभिलिप्सा पांडा के भजन