कोरबा, 7 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के 25 वर्षों ने जहां राज्य के हर क्षेत्र को प्रगति की नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया, वहीं रेशम विभाग ने भी निरंतर विकास की रेशमी राह पर चलते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त किया है. टसर और मलबरी रेशम उत्पादन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति के साथ-साथ हितग्राहियों एवं श्रमिकों के जीवन में भी सकारात्मक परिवर्तन लाया गया है.
रेशम विभाग के सतत प्रयासों से छत्तीसगढ़ ’’टसर उत्पादन में देश में दूसरे स्थान’’ पर आ गया है. जिले के सभी पाँच विकासखंडों के 49 पालित टसर केन्द्रों में टसर उत्पादन की गतिविधियाँ संचालित की जा रही हैं. वर्ष 2000 में 1030 हेक्टेयर’’ में टसर उत्पादन होता था, जो वर्ष ’’2025 तक बढ़कर 1199 हेक्टेयर’’ हो गया है. ’टसर ककून उत्पादन में ’’2000 में 67.1 करोड़ नग से बढ़कर 2024-25 में 108.56 करोड़ नग व वर्ष 2025-26 में अब तक ’’49.30 करोड़ नग’ टसर का उत्पादन हुआ है.
रेशम योजनाओं से लाभान्वित हितग्राहियों की संख्या में निरंतर वृद्धि हुई है. वर्ष 2000 में 1756 हितग्राही लाभान्वित हुए थे. वर्ष 2024-25 तक यह संख्या बढ़कर ’’2759’’ तक पहुँच गई, जो ग्रामीण सहभागिता एवं आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है.
मलबरी (शहतूत) रेशम उत्पादन में भी विभाग ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से कृषकों को सीधे लाभान्वित किया है. जिले में 7 मलबरी रेशम केन्द्र संचालित है. साल 2025 में 51 एकड़’’ में उत्पादन किया जा रहा है. प्रतिवर्ष उत्पादन अंतर्गत वर्ष 2000 में ’’3126 किग्रा’’, और 2024-25 में ’’5052 किग्रा’’ मलबरी ककून का उत्पादन हुआ. वर्ष 2025-26 में माह सितम्बर 25 तक 1484.00 किग्रा मलबरी ककून उत्पादन हुआ है. मलबरी विकास एवं विस्तार योजना अन्तर्गत हितग्राही एवं श्रमिक के रूप में लाभान्वित वर्ष 2000 में 128, वर्ष 2003 में 66, वर्ष 2018 मे 99, वर्ष 2023 मे 69, वर्ष 2024-25 में 487 हितग्राही/ श्रमिक लाभान्वित हुए है.
(Udaipur Kiran) /हरीश तिवारी
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(Udaipur Kiran) / हरीश तिवारी
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