वाशिंगटन, 16 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने एशिया की आर्थिक वृद्धि दर के पूर्वानुमान को संशोधित कर बढ़ा दिया है, लेकिन साथ ही चेतावनी दी है कि अमेरिका और चीन के बीच बढ़ता तनाव इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है. एशिया की अर्थव्यवस्था वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं से गहराई से जुड़ी हुई है, इसलिए किसी भी तरह का व्यापारिक या भू-राजनीतिक टकराव क्षेत्र के लिए गंभीर जोखिम बन सकता है.
2025 में 4.5% की वृद्धि, लेकिन जोखिम बरकरार
आईएमएफ के एशिया-प्रशांत विभाग के निदेशक कृष्णा श्रीनिवासन ने बताया कि अप्रैल की तुलना में एशिया की अर्थव्यवस्था उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन कर रही है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी टैरिफ और चीन के साथ बढ़ते व्यापारिक तनाव से क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
श्रीनिवासन ने कहा, “जब वैश्विक जोखिम बढ़ते हैं, तो एशिया पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है. यह क्षेत्र वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं से सबसे अधिक जुड़ा हुआ है, इसलिए जब अमेरिका और चीन जैसे बड़े देशों के बीच तनाव बढ़ता है, तो इसका प्रभाव एशिया पर कई गुना अधिक पड़ता है.”
आईएमएफ ने 2025 के लिए एशिया की विकास दर 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो 2024 के 4.6 प्रतिशत से थोड़ा कम है, लेकिन अप्रैल में किए गए पूर्वानुमान से 0.6 प्रतिशत अधिक है. वहीं, 2026 में वृद्धि दर 4.1 प्रतिशत तक धीमी होने का अनुमान है.
टेक्नोलॉजी बूम और कमजोर डॉलर से मिली मदद
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्ट के अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के कारण तकनीकी क्षेत्र में तेजी आई है, जिससे दक्षिण कोरिया और जापान के निर्यात को बल मिला है. इसके अलावा, बढ़ते शेयर बाजार, सस्ते दीर्घकालिक ऋण और कमजोर अमेरिकी डॉलर ने भी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं को सहारा दिया है. हालांकि श्रीनिवासन ने आगाह किया कि अगर व्यापार नीति की अनिश्चितता या भू-राजनीतिक तनाव और बढ़े, तो ब्याज दरें फिर से बढ़ सकती हैं, जिससे कई देशों के लिए कर्ज का बोझ बढ़ेगा और विकास दर प्रभावित हो सकती है.
अमेरिका-चीन विवाद का संभावित असर
बीजिंग द्वारा रेयर अर्थ निर्यात नियंत्रण कड़े करने के बाद अमेरिका के President डोनाल्ड ट्रंप ने 01 नवंबर से चीनी सामान पर 100 प्रतिशत तक अतिरिक्त टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है. आईएमएप का कहना है कि इन नए संभावित टैरिफों का असर अभी उसके नवीनतम अनुमान में शामिल नहीं किया गया है. अगर ये लागू होते हैं, तो एशियाई अर्थव्यवस्थाओं पर व्यापक दबाव पड़ सकता है.
घरेलू मांग और क्षेत्रीय सहयोग पर जोर
आईएमएफ ने सुझाव दिया है कि एशियाई देश बाहरी झटकों से बचने के लिए अपनी अर्थव्यवस्था को निर्यात पर निर्भरता से हटाकर घरेलू मांग को बढ़ावा दें.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर एशिया के देश आपसी आर्थिक एकीकरण को बढ़ाते हैं, तो क्षेत्रीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मध्यम अवधि में 1.4 प्रतिशत तक की अतिरिक्त बढ़ोतरी संभव है.
श्रीनिवासन ने कहा, “व्यापार और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए सुधारों पर जोर देने से एशिया आने वाले वर्षों में वैश्विक विकास में सबसे बड़ा योगदानकर्ता बना रहेगा.”
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(Udaipur Kiran) / आकाश कुमार राय
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