–मुख्य सचिव, डीजीपी व प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य को बिसरा फोरेंसिक जांच रिपोर्ट विवेचक को समय से देने की व्यवस्था करने का निर्देश
Prayagraj, 12 नवम्बर (Udaipur Kiran) . इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बिना बिसरा रिपोर्ट के चार्जशीट दाखिल करने पर चिंता जताई है और कहा है कि अधूरी विवेचना कर मृत्यु का कारण जाने बगैर पुलिस चार्जशीट दाखिल करना सही नहीं है. कोर्ट ने मुख्य सचिव, डीजीपी व प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य को बिसरा की फोरेंसिक जांच रिपोर्ट विवेचक को समय से उपलब्ध कराने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है. कहा है कि विवेचना अधिकारियों को समय पर विसरा रिपोर्ट मिलनी चाहिए.
न्यायमूर्ति समित गोपाल की एकल पीठ ने दहेज हत्या मामले में आरोपित फर्रुखाबाद निवासी रामरतन की जमानत अर्जी खारिज करते हुए यह आदेश दिया. कोर्ट ने फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (एफएसएल) से विसरा रिपोर्ट जांच एजेंसियों तक पहुंचाने में हो रही देरी पर गहरी चिंता व्यक्त की और इस चूक को ’चिंताजनक’ बताया. साथ ही मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक तथा महानिदेशक (चिकित्सा स्वास्थ्य) को स्थिति की जांच करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि विसरा रिपोर्ट बिना किसी समय की बर्बादी के शीघ्रता से प्रेषित की जाए ताकि जांच के दौरान पूर्ण, उचित और प्रभावी मूल्यांकन संभव हो सके.
एकल न्यायाधीश ने कहा कि मृतक का विसरा फरवरी 2024 में झांसी स्थित प्रयोगशाला भेजा गया था और सितम्बर 2024 में तैयार किया गया था, लेकिन रिपोर्ट पहली फरवरी, 2025 तक जांच अधिकारी को प्राप्त नहीं हुई. उसके बाद ही केस डायरी में संलग्न की गई जबकि आरोप पत्र 13 सितम्बर, 2024 को ही दाखिल किया जा चुका था और विसरा रिपोर्ट प्राप्त होने से पहले ही 11 नवम्बर, 2024 को संज्ञान ले लिया गया था.
न्यायमूर्ति गोपाल ने कहा, “तथ्य परेशान करने वाला है.“ “फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं द्वारा विसरा रिपोर्ट को जाँच एजेंसी के विचारार्थ शीघ्रता से भेजने की प्रक्रिया होनी चाहिए.“ मामले की जांच विसरा रिपोर्ट प्राप्त किए बिना ही पूरी कर ली गई और आरोप-पत्र दाखिल कर दिया गया. इससे यह स्पष्ट होता है कि जहां तक मृतक की मृत्यु के कारण का प्रश्न है, वह निर्णायक नहीं था. इस देरी से यह भी पता चलता है कि जांच किसी न किसी रूप में अधूरी थी. कोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ऐसे महत्वपूर्ण साक्ष्य समय रहते जांच एजेंसी के पास होना चाहिए ताकि किसी उचित निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके.
इस मुद्दे पर व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाते हुए कोर्ट ने अफसरों के लिए निर्देश जारी किए कि वे अधूरी जांच से बचने के लिए विसरा रिपोर्ट बिना किसी समय की बर्बादी के प्रेषित कराने की व्यवस्था कराएं. न्यायालय ने रजिस्ट्रार (अनुपालन) को आवश्यक कार्रवाई के लिए एक सप्ताह के भीतर संबंधित अधिकारियों को इस आदेश से अवगत कराने का भी निर्देश दिया. मुकदमे से जुड़े तथ्य यह हैं कि घटना की प्राथमिकी मृतका प्रेमलता के भाई अटल Biharी द्वारा थाना मोहम्मदाबाद में दर्ज कराई गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि बहन को उसके पति रामरतन और ससुर मुन्ना लाल और सास रानी देवी द्वारा मोटरसाइकिल और एक लाख रुपये की दहेज की मांग को लेकर परेशान और प्रताड़ित किया जा रहा था और बहन की संदिग्ध परिस्थितियों में चार फरवरी 2024 को मृत्यु हो गई. बहन के चेहरे, गर्दन और शरीर के अन्य हिस्सों पर चोट के निशान थे.
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे





