नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में पटाखा बिक्री पर लगी रोक मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। दिल्ली सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने संतुलित रवैया अपनाते हुए ग्रीन पटाखों की ब्रिकी की अनुमति दिए जाने की सिफारिश की। सुनवाई के दौरान एनसीआर के अंतर्गत आने वाले राज्यों की ओर से सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई कि 2 घंटे के लिए ग्रीन पटाखों को जलाने की अनुमति दी जाए। साथ ही यह भी कहा कि सिर्फ नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट और पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन की ओर से प्रमाणित ग्रीन पटाखे ही बेचे जाएं।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल से सवाल किया कि क्या पटाखों पर बैन के बाद से दिल्ली की वायु गुणवत्ता (AQI) में सुधार हुआ है। इस पर तुषार मेहता ने बताया कि सिर्फ कोविड के दौरान वायु गुणवत्ता सुधरी थी, फिलहाल AQI लगभग पहले जैसा ही है। जबकि अन्य याचिकाकर्ता के वकीलों ने दलील देते हुए कहा कि प्रदूषण का कारण सिर्फ पटाखे ही नहीं बल्कि पराली जलाना और गाड़ियों तथा फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं भी है। जस्टिस के विनोद चंद्रन ने कहा कि नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट और पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन ने सिर्फ 49 पटाखा उत्पादकों को ग्रीन सर्टिफिकेट दिया है।
इस पर एसजी तुषार मेहता बोले, सिर्फ इन्हीं उत्पादकों को ग्रीन पटाखों की बिक्री की अनुमति मिलनी चाहिए। साथ ही उन्होंने ऐसे पटाखा निर्माण स्थलों को तुरंत सील करने की मांग की जो नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। वहीं एक अन्य याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को इस बात का संज्ञान दिलाया कि दिल्ली के प्रदूषण की वजह से हरियाणा के 14, यूपी के 8 और राजस्थान के 2 शहरों में भी पटाखों पर बैन लग गया और इन राज्यों की सुनवाई भी नहीं हुई। इन सभी दलीलों को सुनने के बाद बेंच ने अपना आदेश रिजर्व कर लिया है।
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