News India Live, Digital Desk: राजस्थान के उपमुख्यमंत्री के अचानक हुए एक निरीक्षण ने सरकारी कार्यप्रणाली की पोल खोल दी है, खासकर सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की. एक रिपोर्ट के अनुसार, टोंक ज़िले से गुजरते समय, उपमुख्यमंत्री ने एक बस को रोकने और उसकी जांच करने का फैसला किया. इस दौरान उन्हें कुछ ऐसा पता चला, जिसने न सिर्फ़ सिस्टम की खामियों को उजागर किया, बल्कि जनता के पैसे की बर्बादी को भी साफ कर दिया.घटनाक्रम के मुताबिक, उपमुख्यमंत्री बिना किसी पूर्व सूचना के एक रूट से गुजर रहे थे, जब उनकी नज़र एक राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम (RSRTC) की बस पर पड़ी. उन्होंने अपनी गाड़ी रोककर बस की जांच करने का फैसला किया. निरीक्षण के दौरान, उन्हें पता चला कि बस में कंडक्टर तो है, लेकिन उसने बस का किराया एक अलग मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए 'ऑनलाइन' काट रहा है, न कि पारंपरिक टिकट मशीन या हाथों से कटे टिकटों के ज़रिए.सबसे गंभीर बात यह थी कि कंडक्टर यात्रियों को बस से बाहर उतरने से पहले बता रहा था कि "जैसे ही बाहर निकलो, मैसेज डिलीट कर देना." इस निर्देश का सीधा मतलब यह था कि वह जानबूझकर किराए का रिकॉर्ड छिपाने की कोशिश कर रहा था और शायद सरकारी राजस्व में सेंध लगा रहा था. यह दर्शाता है कि टिकट से होने वाली आय को कहीं और डायवर्ट किया जा रहा था या उस पैसे को गबन करने का प्रयास था.उपमुख्यमंत्री ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया. उनके इस औचक निरीक्षण ने यह साफ कर दिया कि सरकारी तंत्र में किस तरह की लापरवाही और भ्रष्टाचार पनप रहा है. उन्होंने तुरंत कार्रवाई का आदेश दिया. ऐसी घटनाओं से यात्रियों को मिलने वाली सुविधाओं और सरकार को होने वाले राजस्व पर सीधा असर पड़ता है. यह घटना परिवहन विभाग में पारदर्शिता लाने और जवाबदेही तय करने की ज़रूरत पर फिर से ज़ोर देती है.
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