क्या आप अपने फोन पर आने वाले हर एक वीडियो को सच मान लेते हैं। आजकल के AI के युग में किसी भी फोटो या वीडियो पर तुरंत विश्वास कर लेना संभव नहीं है। दरअसल OpenAI के Sora 2 और Google के Nano Banana जैसे टूल्स से अब कुछ भी फेक बनाया जा सकता है। AI द्वारा बनने वाले फेक वीडियो की खासियत है कि यह बेहद सच्चे दिखते हैं। जब तक आप कुछ खास बातों पर गौर न करें तब तक कह पाना मुश्किल हो जाता है कि वीडियो असली है या नकली। चलिए आज हम आपको 6 ऐसी बातों के बारे में बताते हैं, जिनकी मदद से आप किसी भी फेक या असली वीडियो के बीच आसानी से फर्क कर पाएंगे।
ग्लिच और गड़बड़ियांजब आप पता करना चाहें कि कोई वीडियो असली है या फेक, तो उसे गौर से देखें। AI से बने वीडियो भले कितने ही सच्चे दिखने लगे हों लेकिन उनमें ग्लिच और गड़बड़ियां दिख ही जाती हैं। इस तरह के वीडियो में दिख रहे मुख्य सबजेक्ट की अन्य बारीकियों पर गौर करें। जैसे कि परछाई, हाथ-पैर आदि। इनमें आपको किसी न किसी तरह की गड़बड़ी जरूर दिख जाएगी।
क्वालिटी पर गौर करेंआज की तारीख में लगभग सभी के हाथ में कैमरा वाले फोन हैं और सभी अच्छी क्वालिटी की वीडियो शूट कर सकते हैं। अगर आपको अपने फोन मिला कोई अविश्वसनीय वीडियो खराब क्वालिटी का दिखाई दे, तो चौकन्ने हो जाएं। दरअसल इस तरह के धुंधले, पिक्सेलेटेड वीडियो अक्सर AI के होते हैं।
बारीकियों पर गौर करेंअगर आपको किसी वीडियो में सबकुछ बहुत ज्यादा परफेक्ट दिखे, तो यकीन मानिए ऐसे वीडियो AI से बने हो सकते हैं। दरअसल AI से बने वीडियो में आपको सबकुछ बेहद परफेक्ट देखने को मिल सकता है, जैसे कि साफ त्वचा, फिल्म जैसी लाइटिंग आदि। इस तरह के वीडियो भी निशानी होते हैं कि इन्हें AI ने बनाया है और उन्हें सच्चा दिखाने के चक्कर में सबकुछ बेहद परफेक्ट बना दिया है।
धीमी वीडियो क्लिप्सAI से बने वीडियो में एक चीज और कॉमन देखने को मिलती है कि उसके कुछ हिस्से एक आम वीडियो की तरह चलते दिखेंगे और एक खास हिस्सा काफी स्लो हो जाएगा। इस तरह के वीडियो के कैमरा मूवमेंट भी काफी स्लो होते हैं। अगर किसी अजीबो-गरीब वीडियो में आप कुछ हिस्सों को स्लो मूव होता देख रहे हैं, तो समझ जाएं कि वो वीडियो AI से बनाया गया है।
ऑडियो से पकड़ेंAI से बने वीडियो पकड़ने का एक आसान तरीका यह भी है कि बोलते समय उनमें होठों की हरकत शब्दों से मैच नहीं करती। आसान भाषा में कहें, तो इन वीडियो में लिप-सिंक थोड़ा ऑफ लगता है। इसके अलावा बैकग्राउंड की आवाजें भी गायब या फिर अस्वाभाविक होती हैं।
सच से कोसों दूरAI से बने वीडियो अक्सर इसलिए पॉपुलर हो जाते हैं क्योंकि उनमें कुछ ना कुछ ऐसा दिखाया जाता है कि वह सच से कोसो दूर लगते हैं। जैसे कि बच्चों का रैंप पर वॉक करना या फिर बिल्लियों का खतरनाक स्टंट करना। ऐसा कुछ किसी वीडियो में दिखे जिसे आप पहली नजर में सच ना मान सकें, तो समझ जाएं कि यह काम AI का हो सकता है।
ग्लिच और गड़बड़ियांजब आप पता करना चाहें कि कोई वीडियो असली है या फेक, तो उसे गौर से देखें। AI से बने वीडियो भले कितने ही सच्चे दिखने लगे हों लेकिन उनमें ग्लिच और गड़बड़ियां दिख ही जाती हैं। इस तरह के वीडियो में दिख रहे मुख्य सबजेक्ट की अन्य बारीकियों पर गौर करें। जैसे कि परछाई, हाथ-पैर आदि। इनमें आपको किसी न किसी तरह की गड़बड़ी जरूर दिख जाएगी।
क्वालिटी पर गौर करेंआज की तारीख में लगभग सभी के हाथ में कैमरा वाले फोन हैं और सभी अच्छी क्वालिटी की वीडियो शूट कर सकते हैं। अगर आपको अपने फोन मिला कोई अविश्वसनीय वीडियो खराब क्वालिटी का दिखाई दे, तो चौकन्ने हो जाएं। दरअसल इस तरह के धुंधले, पिक्सेलेटेड वीडियो अक्सर AI के होते हैं।
बारीकियों पर गौर करेंअगर आपको किसी वीडियो में सबकुछ बहुत ज्यादा परफेक्ट दिखे, तो यकीन मानिए ऐसे वीडियो AI से बने हो सकते हैं। दरअसल AI से बने वीडियो में आपको सबकुछ बेहद परफेक्ट देखने को मिल सकता है, जैसे कि साफ त्वचा, फिल्म जैसी लाइटिंग आदि। इस तरह के वीडियो भी निशानी होते हैं कि इन्हें AI ने बनाया है और उन्हें सच्चा दिखाने के चक्कर में सबकुछ बेहद परफेक्ट बना दिया है।
धीमी वीडियो क्लिप्सAI से बने वीडियो में एक चीज और कॉमन देखने को मिलती है कि उसके कुछ हिस्से एक आम वीडियो की तरह चलते दिखेंगे और एक खास हिस्सा काफी स्लो हो जाएगा। इस तरह के वीडियो के कैमरा मूवमेंट भी काफी स्लो होते हैं। अगर किसी अजीबो-गरीब वीडियो में आप कुछ हिस्सों को स्लो मूव होता देख रहे हैं, तो समझ जाएं कि वो वीडियो AI से बनाया गया है।
ऑडियो से पकड़ेंAI से बने वीडियो पकड़ने का एक आसान तरीका यह भी है कि बोलते समय उनमें होठों की हरकत शब्दों से मैच नहीं करती। आसान भाषा में कहें, तो इन वीडियो में लिप-सिंक थोड़ा ऑफ लगता है। इसके अलावा बैकग्राउंड की आवाजें भी गायब या फिर अस्वाभाविक होती हैं।
सच से कोसों दूरAI से बने वीडियो अक्सर इसलिए पॉपुलर हो जाते हैं क्योंकि उनमें कुछ ना कुछ ऐसा दिखाया जाता है कि वह सच से कोसो दूर लगते हैं। जैसे कि बच्चों का रैंप पर वॉक करना या फिर बिल्लियों का खतरनाक स्टंट करना। ऐसा कुछ किसी वीडियो में दिखे जिसे आप पहली नजर में सच ना मान सकें, तो समझ जाएं कि यह काम AI का हो सकता है।
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