नई दिल्ली: प्रधानमंत्री के इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा है कि H-1B जैसे लंबे समय का वीजा संबंधित देशों के लिए ज्यादा फायदेमंद (मौजूदा केस में अमेरिका) है, उन देशों के मुकाबले जिनके लोगों के लिए यह जारी किया जाता है। उन्होंने कहा कि भारत को किसी भी देश के साथ लंबे समय के वीजा के लिए बातचीत नहीं करनी चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से अमेरिकी H-1B वीजा को लेकर कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप के फैसले से किसी भी अन्य देश से ज्यादा अमेरिका पर ही असर पड़ेगा।
अमेरिका ही ज्यादा प्रभावित होगा
Network18 के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल के सदस्य संजीव सान्याल से जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से H-1B वीजा पर फीस अप्रत्याशित रूप से बढ़ाए जाने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ऐसे वीजा ज्यादातर अमेरिकी कंपनियां ही इस्तेमाल करती हैं। उन्होंने इशारों में बताया कि ट्रंप का फैसला अमेरिका को ही ज्यादा प्रभावित करेगा।
'आपको वहां जाने की जरूरत क्यों है?'
संजीव सान्याल के मुताबिक 'H-1B और किसी भी अन्य लंबे समय के वीजा पर मेरे विचार लंबे वक्त से एक ही रहे हैं। यह वास्तव में उस देश के लिए अच्छी चीज है। आज भी H-1B मुख्य तौर पर अमेजन, गूगल और यही सब इस्तेमाल करती हैं, भारतीय कंपनियों द्वारा नहीं। फिर अगर वो आईटी कंपनियां हैं, उन्हें (लोगों को) अमेरिका भेजने की जरूरत क्यों है? आप एक ऐसे उद्योग में हैं, जिसमें काम कहीं से भी हो सकता है। आपको वहां जाने की जरूरत क्यों है?'
'वीजा पर उन्हें हमसे पूछना चाहिए'
सान्याल ने कहा है कि उनका स्पष्ट मानना है कि भारत को किसी भी देश के साथ वीजा के मुद्दे पर बातचीत नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'किसी भी देश के साथ भारतीय वार्ताकारों को लॉन्ग टर्म वीजा पर वास्तव में चर्चा नहीं करनी चाहिए... हम इसे बातचीत का मुद्दा क्यों मान रहे हैं... यह तो उन्हें हमसे पूछना चाहिए...।' उनका कहना है कि 'प्रॉसेस रिफॉर्म्स रेसिडेंट्स के लिए एक अच्छी बात है और हमें इसमें तेजी लानी चाहिए, न कि सिर्फ H1-B वीजा मुद्दे की वजह से या संभावित रूप से वापस लौटने वाले एनआरआई के लिए।'
टैरिफ के बाद ट्रंप का वीजा वाला झटका
पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक आदेश जारी कर कंपनियों की ओर से अमेरिका भेजे जाने वाले लोगों की वीजा आवेदन फीस बढ़ाकर 1,00,000 डॉलर कर दिया है। इसको लेकर शुरू में काफी अफरा-तफरी मच गई। लेकिन, बाद में स्पष्ट किया गया कि यह नए वीजा आवेदकों पर लागू होगा और यह सिर्फ एक बार लिया जाएगा।
अमेरिका ही ज्यादा प्रभावित होगा
Network18 के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल के सदस्य संजीव सान्याल से जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से H-1B वीजा पर फीस अप्रत्याशित रूप से बढ़ाए जाने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ऐसे वीजा ज्यादातर अमेरिकी कंपनियां ही इस्तेमाल करती हैं। उन्होंने इशारों में बताया कि ट्रंप का फैसला अमेरिका को ही ज्यादा प्रभावित करेगा।
'आपको वहां जाने की जरूरत क्यों है?'
संजीव सान्याल के मुताबिक 'H-1B और किसी भी अन्य लंबे समय के वीजा पर मेरे विचार लंबे वक्त से एक ही रहे हैं। यह वास्तव में उस देश के लिए अच्छी चीज है। आज भी H-1B मुख्य तौर पर अमेजन, गूगल और यही सब इस्तेमाल करती हैं, भारतीय कंपनियों द्वारा नहीं। फिर अगर वो आईटी कंपनियां हैं, उन्हें (लोगों को) अमेरिका भेजने की जरूरत क्यों है? आप एक ऐसे उद्योग में हैं, जिसमें काम कहीं से भी हो सकता है। आपको वहां जाने की जरूरत क्यों है?'
'वीजा पर उन्हें हमसे पूछना चाहिए'
सान्याल ने कहा है कि उनका स्पष्ट मानना है कि भारत को किसी भी देश के साथ वीजा के मुद्दे पर बातचीत नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'किसी भी देश के साथ भारतीय वार्ताकारों को लॉन्ग टर्म वीजा पर वास्तव में चर्चा नहीं करनी चाहिए... हम इसे बातचीत का मुद्दा क्यों मान रहे हैं... यह तो उन्हें हमसे पूछना चाहिए...।' उनका कहना है कि 'प्रॉसेस रिफॉर्म्स रेसिडेंट्स के लिए एक अच्छी बात है और हमें इसमें तेजी लानी चाहिए, न कि सिर्फ H1-B वीजा मुद्दे की वजह से या संभावित रूप से वापस लौटने वाले एनआरआई के लिए।'
टैरिफ के बाद ट्रंप का वीजा वाला झटका
पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक आदेश जारी कर कंपनियों की ओर से अमेरिका भेजे जाने वाले लोगों की वीजा आवेदन फीस बढ़ाकर 1,00,000 डॉलर कर दिया है। इसको लेकर शुरू में काफी अफरा-तफरी मच गई। लेकिन, बाद में स्पष्ट किया गया कि यह नए वीजा आवेदकों पर लागू होगा और यह सिर्फ एक बार लिया जाएगा।
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