अभय सिंह राठौड़, लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खान इन दिनों लखनऊ दौरे पर हैं। लखनऊ में उनकी मुलाकातों ने उन्हें फिर से चर्चाओं में ला दिया है। उधर, सपा मुखिया अखिलेश यादव से करीब डेढ़ घंटे तक मुलाकात करने के बाद से आजम खान धीरे-धीरे अपने पुराने तेवर में लौटने लगे हैं। इतना ही नहीं, मुलाकात के बाद आजम खान ने बातों-बातों में टिकट दिलवाने तक का भी दावा कर दिया है। उनके इस बयान के बाद से यह चर्चा होने लगी है कि अब आजम खान की नाराजगी दूर हो गई है और वो आगे भी समाजवादी पार्टी के साथ ही रहने वाले हैं।
दरअसल, सीतापुर जेल से समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान के रिहा होने के बाद से उनको लेकर तमाम तरह की चर्चाएं चल रही थीं। एक चर्चा जो जोरों पर चल रही थी कि आजम खान और उनका परिवार समाजवादी पार्टी से काफी नाराज है और वह जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। चर्चा ये भी थी कि आजम खान बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम सकते हैं, लेकिन जेल से छूटने के बाद जैसे-जैसे इन चर्चाओं ने तूल पकड़ा, वैसे ही आजम खान ने सभी तरह की चर्चाओं को सिरे से खारिज करना शुरू कर दिया था।
उधर, 8 अक्टूबर को अखिलेश यादव का रामपुर जाकर आजम खान से मिलना और अब आजम खान का लखनऊ में अखिलेश यादव के घर जाकर उनसे मुलाकात करना, इस बात की ओर साफ इशारा करता है कि आजम खान आज भी समाजवादी पार्टी के लिए ही हैं। अब वो किसी भी दूसरी पार्टी में जाने वाले नहीं हैं। वहीं, राजनीति के जानकार बताते हैं कि आजम खान का समाजवादी पार्टी से दशकों पुराना साथ है और वो आज भी सपा को बहुत अच्छी तरीके से जानते हैं। यही वजह है कि आजम खान को जो सम्मान और ताकत सपा में मिलती है या आगे मिलेगी, वो शायद किसी अन्य दूसरी पार्टी में नहीं मिल सकती है।
वहीं, बसपा में न जाने का दूसरा कारण यह भी है कि क्योंकि बसपा सुप्रीमो मायावती पर अंदर खाने बीजेपी से सेटिंग होने के आरोप लगते रहते हैं। इस बात की जानकारी आजम खान को भी है। ऐसे में आजम खान अगर बसपा के साथ जाते हैं तो ये उनके लिए उल्टा दांव पड़ सकता है। आजम खान सत्ताधारी पार्टी के निशाने पर हैं। आजम खान भी बीजेपी सरकार को आड़े हाथों लेते रहते हैं। ऐसे में सपा के साथ रहने की आजम खान की एक तरह से मजबूरी भी है। हालांकि, राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है, लेकिन जेल से छूटने के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव से बैक टू बैक दो मुलाकातों ने यह पक्का कर दिया है कि सपा से दशकों पुराना रिश्ता आगे भी चलता रहेगा। आजम खान ने भी अखिलेश यादव को औलाद जैसा बताकर इसकी पुष्टि कर दी है।
दरअसल, सीतापुर जेल से समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान के रिहा होने के बाद से उनको लेकर तमाम तरह की चर्चाएं चल रही थीं। एक चर्चा जो जोरों पर चल रही थी कि आजम खान और उनका परिवार समाजवादी पार्टी से काफी नाराज है और वह जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। चर्चा ये भी थी कि आजम खान बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम सकते हैं, लेकिन जेल से छूटने के बाद जैसे-जैसे इन चर्चाओं ने तूल पकड़ा, वैसे ही आजम खान ने सभी तरह की चर्चाओं को सिरे से खारिज करना शुरू कर दिया था।
उधर, 8 अक्टूबर को अखिलेश यादव का रामपुर जाकर आजम खान से मिलना और अब आजम खान का लखनऊ में अखिलेश यादव के घर जाकर उनसे मुलाकात करना, इस बात की ओर साफ इशारा करता है कि आजम खान आज भी समाजवादी पार्टी के लिए ही हैं। अब वो किसी भी दूसरी पार्टी में जाने वाले नहीं हैं। वहीं, राजनीति के जानकार बताते हैं कि आजम खान का समाजवादी पार्टी से दशकों पुराना साथ है और वो आज भी सपा को बहुत अच्छी तरीके से जानते हैं। यही वजह है कि आजम खान को जो सम्मान और ताकत सपा में मिलती है या आगे मिलेगी, वो शायद किसी अन्य दूसरी पार्टी में नहीं मिल सकती है।
वहीं, बसपा में न जाने का दूसरा कारण यह भी है कि क्योंकि बसपा सुप्रीमो मायावती पर अंदर खाने बीजेपी से सेटिंग होने के आरोप लगते रहते हैं। इस बात की जानकारी आजम खान को भी है। ऐसे में आजम खान अगर बसपा के साथ जाते हैं तो ये उनके लिए उल्टा दांव पड़ सकता है। आजम खान सत्ताधारी पार्टी के निशाने पर हैं। आजम खान भी बीजेपी सरकार को आड़े हाथों लेते रहते हैं। ऐसे में सपा के साथ रहने की आजम खान की एक तरह से मजबूरी भी है। हालांकि, राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है, लेकिन जेल से छूटने के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव से बैक टू बैक दो मुलाकातों ने यह पक्का कर दिया है कि सपा से दशकों पुराना रिश्ता आगे भी चलता रहेगा। आजम खान ने भी अखिलेश यादव को औलाद जैसा बताकर इसकी पुष्टि कर दी है।
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