नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री से संबंधित विवरण के खुलासे का अनुरोध करने वाली चार अपीलों पर आज सुनवाई करेगा। ये अपीलें एकल न्यायाधीश के उस आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई हैं जिसमें मोदी की डिग्री का खुलासा करने के निर्देश देने वाले केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के फैसले को रद्द कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ सूचना का अधिकार कार्यकर्ता नीरज, आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह और अधिवक्ता मोहम्मद इरशाद द्वारा दायर अपीलों पर सुनवाई करेगी।
25 अगस्त को सीआईसी के आदेश को कर दिया गया था रद्द
एकल न्यायाधीश ने 25 अगस्त को सीआईसी के आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि पीएम मोदी एक सार्वजनिक पद पर हैं, सिर्फ इसलिए उनकी सभी ‘निजी जानकारी’ सार्वजनिक नहीं की जा सकती।
न्यायालय ने मांगी गई जानकारी में किसी भी ‘अंतर्निहित जनहित’ की संभावना से इनकार किया था और कहा था कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम सरकारी कामकाज में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए बनाया गया था, न कि ‘सनसनीखेज खबरें फैलाने के लिए’।
नीरज द्वारा आरटीआई आवेदन के बाद, सीआईसी ने 21 दिसंबर, 2016 को 1978 में बीए की परीक्षा पास करने वाले सभी छात्रों के रिकॉर्ड की जांच की अनुमति दे दी थी। उसी वर्ष मोदी ने भी यह परीक्षा पास की थी।
एकल न्यायाधीश ने छह याचिकाओं पर संयुक्त आदेश दिया था
एकल न्यायाधीश ने छह याचिकाओं पर संयुक्त आदेश दिया था जिसके तहत विश्वविद्यालय को मोदी की स्नातक डिग्री से संबंधित विवरण का खुलासा करने का निर्देश दिया गया था। इन याचिकाओं में दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा दायर एक याचिका भी शामिल थी जिसमें सीआईसी को चुनौती दी गई थी।
दिल्ली विश्वविद्यालय के वकील ने सीआईसी के आदेश को रद्द करने की मांग की थी, लेकिन कहा था कि विश्वविद्यालय को अदालत को अपने रिकॉर्ड दिखाने में कोई आपत्ति नहीं है।
एकल न्यायाधीश ने कहा था कि शैक्षणिक योग्यताएं किसी सार्वजनिक पद पर आसीन होने या आधिकारिक दायित्वों का निर्वहन करने के लिए किसी वैधानिक आवश्यकता के स्वरूप की नहीं हैं।
न्यायाधीश ने क्या कहा था?
न्यायाधीश ने कहा था कि अगर किसी विशिष्ट सार्वजनिक पद के लिए शैक्षणिक योग्यता एक पूर्वापेक्षा होती, तो स्थिति अलग हो सकती थी। उन्होंने सीआईसी के दृष्टिकोण को ‘पूरी तरह से गलत’ बताया था।
उच्च न्यायालय ने सीआईसी के उस आदेश को भी रद्द कर दिया था जिसमें सीबीएसई को पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के कक्षा 10 और 12 के रिकॉर्ड की प्रतियां उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ सूचना का अधिकार कार्यकर्ता नीरज, आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह और अधिवक्ता मोहम्मद इरशाद द्वारा दायर अपीलों पर सुनवाई करेगी।
25 अगस्त को सीआईसी के आदेश को कर दिया गया था रद्द
एकल न्यायाधीश ने 25 अगस्त को सीआईसी के आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि पीएम मोदी एक सार्वजनिक पद पर हैं, सिर्फ इसलिए उनकी सभी ‘निजी जानकारी’ सार्वजनिक नहीं की जा सकती।
न्यायालय ने मांगी गई जानकारी में किसी भी ‘अंतर्निहित जनहित’ की संभावना से इनकार किया था और कहा था कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम सरकारी कामकाज में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए बनाया गया था, न कि ‘सनसनीखेज खबरें फैलाने के लिए’।
नीरज द्वारा आरटीआई आवेदन के बाद, सीआईसी ने 21 दिसंबर, 2016 को 1978 में बीए की परीक्षा पास करने वाले सभी छात्रों के रिकॉर्ड की जांच की अनुमति दे दी थी। उसी वर्ष मोदी ने भी यह परीक्षा पास की थी।
एकल न्यायाधीश ने छह याचिकाओं पर संयुक्त आदेश दिया था
एकल न्यायाधीश ने छह याचिकाओं पर संयुक्त आदेश दिया था जिसके तहत विश्वविद्यालय को मोदी की स्नातक डिग्री से संबंधित विवरण का खुलासा करने का निर्देश दिया गया था। इन याचिकाओं में दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा दायर एक याचिका भी शामिल थी जिसमें सीआईसी को चुनौती दी गई थी।
दिल्ली विश्वविद्यालय के वकील ने सीआईसी के आदेश को रद्द करने की मांग की थी, लेकिन कहा था कि विश्वविद्यालय को अदालत को अपने रिकॉर्ड दिखाने में कोई आपत्ति नहीं है।
एकल न्यायाधीश ने कहा था कि शैक्षणिक योग्यताएं किसी सार्वजनिक पद पर आसीन होने या आधिकारिक दायित्वों का निर्वहन करने के लिए किसी वैधानिक आवश्यकता के स्वरूप की नहीं हैं।
न्यायाधीश ने क्या कहा था?
न्यायाधीश ने कहा था कि अगर किसी विशिष्ट सार्वजनिक पद के लिए शैक्षणिक योग्यता एक पूर्वापेक्षा होती, तो स्थिति अलग हो सकती थी। उन्होंने सीआईसी के दृष्टिकोण को ‘पूरी तरह से गलत’ बताया था।
उच्च न्यायालय ने सीआईसी के उस आदेश को भी रद्द कर दिया था जिसमें सीबीएसई को पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के कक्षा 10 और 12 के रिकॉर्ड की प्रतियां उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था।
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