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नए साल में बनारस पर तोहफों की होगी बरसात, सिग्नेचर ब्रिज, रोप वे और दौड़ेगी वॉटर मेट्रो

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विकास पाठक, वाराणसी: स्मार्ट सिटी बनने की ओर कदम बढ़ा चुके पौराणिक शहर बनारस में बदलाव के अध्याय में एक नया पन्ना जोड़ने की तैयारी है। नए साल में देश के पहले शहरी सार्वजनिक परिवहन के रूप में रोप-वे चलेगा तो गंगा में वॉटर मेट्रो दौड़ेगी, यानी फेरी सर्विस शुरू होगी। वॉटर मेट्रो का खाका अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) ने तैयार किया है।

तकनीकी सर्वेक्षण के साथ ट्रैफिक अध्ययन हो चुका है। इसमें वॉटर मेट्रो के संचालन को जरूरी और उपयोगी माना गया है। यह परियोजना पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ पर्यटन को भी बढ़ावा देगी और शहरी यातायात को सुगम बनाएगी।

विश्वनाथ धाम जुड़ेगा
बनारस में नए साल में शुरू होने वाली वॉटर मेट्रो सेवा परिवहन संगम का ही हिस्सा है। वॉटर मेट्रो के लिए गंगा किनारे के आठ स्थानों पर स्टेशन बानी जेटी बनाई जाएगी। वॉटर मेट्रो स्टेशन के लिए पहले छोर नमो पाट और दूसरे छोर रामनगर में मल्टी मॉडल टर्मिनल के साथ ही शास्त्री घाट, संत रविदास घाट, चेतसिंह घाट, काशी विश्वनाथ मंदिर (ललिता घाट), पंचगंगा घाट और आदिकेशव घाट को चयनित किया गया है। वॉटर मेट्रो शुरू होने से श्रद्धालु नमो घाट और रामनगर से सीधे ललिता घाट पहुंच वहां से काशी विश्वनाथ धाम जा सकेंगे। उन्हें शहर के जाम से जूझना नहीं पड़ेगा।

रोप वे और मेट्रो भी
बनारस में परिवहन संगम के तहत शहरी इलाके में नए साल के पहले महीने यानी जनवरी से रोप-वे सेवा शुरू होने वाली है। कैंट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया चौराहे तक रोप-वे कॉरिडोर और चार स्टेशन तैयार हो चुके है। परिवहन संगम स्थल नमो घाट के पास बनने वाले दो फ्लोर वाले सिग्नेचर ब्रिज का प्रारंभिक काम भी शुरू हो चुका है। दो फ्लोर वाला सिग्नेचर ब्रिज सिक्स लेन का होगा। नीचे ट्रेनों के लिए चार ट्रैक होंगे।

इस ब्रिज वाराणसी और चंदौली जिले को आपरा गे कनेक्ट करने से बिहार होते हुए पश्चिम बंगाल तक की राह आसान हो जाएगी। यह ब्रिज नए इंटर माडल काशी स्टेशन के पास 2026 तक बनकर तैयार होगा। काशी रेलवे स्टेशन का 300 करोड़ से पुनर्विकास का काम चल रहा है। उधर, शहर के विस्तार को देखते हुए आउटर इलाके में मेट्रो चलाने के लिए सर्वे शुरू होने वाला है।
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