गयाजी: माउंटेन मैन के नाम से मशहूर दशरथ मांझी के बेटे भागीरथ मांझी भी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 लड़ना चाहते थे। लेकिन अब कांग्रेस पार्टी का टिकट न मिलने पर भागीरथ मांझी ने निराशा जताई है , जबकि उनका दावा है कि उन्हें पहले से आश्वासन दिया गया था। न्यूज एजेंसी से बात करते हुए भागीरथ मांझी ने कहा कि चुनाव लड़ने के लिए टिकट पाने की उम्मीद में वह दिल्ली गए थे और चार दिन वहीं रहे।
क्या कहा माउंटेन मैन के बेटे ने
उन्होंने कहा, 'मैं चार दिन दिल्ली में रहा, लेकिन टिकट नहीं मिला। मैंने सारे कागजात जमा कर दिए थे। मैंने राहुल गांधी से टिकट मांगा था और उन्होंने कहा था कि वह टिकट देंगे। मुझे टिकट मिलने की पूरी उम्मीद थी। सभी को टिकट दिए गए, लेकिन मुझे टिकट नहीं मिला। मैं चार दिन दिल्ली में रहा। मैं राहुल गांधी से नहीं मिल पाया।'
राहुल गांधी ने दिया था भागीरथ मांझी को पक्का मकान
इसी साल अगस्त में राहुल गांधी ने दशरथ मांझी के बेटे भागीरथ मांझी को पक्का मकान दिया था। खुद भागीरथ मांझी ने कहा था कि राहुल गांधी के आदमियों ने लखनऊ से घर बनाने का सामान पहुंचाया था। इसके बाद राहुल गांधी ने दशरथ मांझी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि भी दी थी। भागीरथ मांझी ने तब भी कहा था कि राहुल गांधी ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए टिकट देने का वादा किया है। लेकिन अब भागीरथ मांझी की उम्मीद पर पानी फिर चुका है।
माउंटेन मैन की कहानी भी जानिए
दशरथ मांझी, जो अपने असाधारण कारनामे के लिए पूरे देश में जाने जाते हैं, गया के पास गेहलौर गांव के रहने वाले थे। बिहार सरकार के अनुसार, मांझी ने अकेले ही एक हथौड़ा और छेनी का उपयोग करके एक पहाड़ी को काटकर 110 मीटर लंबा (360 फीट), 9.1 मीटर चौड़ा (30 फीट) और 7.7 मीटर गहरा (25 फीट) रास्ता बना दिया। इस परियोजना को पूरा करने में उन्हें 22 साल लगे और गया जिले के अत्री और वजीरगंज ब्लॉक के बीच की दूरी 55 किमी से घटकर 15 किमी रह गई। दशरथ मांझी का निधन 17 अगस्त, 2007 को नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में हुआ था। बिहार सरकार ने उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार दिया और 2006 में समाज सेवा श्रेणी के तहत पद्म श्री पुरस्कार के लिए उनके नाम का प्रस्ताव रखा।
क्या कहा माउंटेन मैन के बेटे ने
उन्होंने कहा, 'मैं चार दिन दिल्ली में रहा, लेकिन टिकट नहीं मिला। मैंने सारे कागजात जमा कर दिए थे। मैंने राहुल गांधी से टिकट मांगा था और उन्होंने कहा था कि वह टिकट देंगे। मुझे टिकट मिलने की पूरी उम्मीद थी। सभी को टिकट दिए गए, लेकिन मुझे टिकट नहीं मिला। मैं चार दिन दिल्ली में रहा। मैं राहुल गांधी से नहीं मिल पाया।'
राहुल गांधी ने दिया था भागीरथ मांझी को पक्का मकान
इसी साल अगस्त में राहुल गांधी ने दशरथ मांझी के बेटे भागीरथ मांझी को पक्का मकान दिया था। खुद भागीरथ मांझी ने कहा था कि राहुल गांधी के आदमियों ने लखनऊ से घर बनाने का सामान पहुंचाया था। इसके बाद राहुल गांधी ने दशरथ मांझी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि भी दी थी। भागीरथ मांझी ने तब भी कहा था कि राहुल गांधी ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए टिकट देने का वादा किया है। लेकिन अब भागीरथ मांझी की उम्मीद पर पानी फिर चुका है।
माउंटेन मैन की कहानी भी जानिए
दशरथ मांझी, जो अपने असाधारण कारनामे के लिए पूरे देश में जाने जाते हैं, गया के पास गेहलौर गांव के रहने वाले थे। बिहार सरकार के अनुसार, मांझी ने अकेले ही एक हथौड़ा और छेनी का उपयोग करके एक पहाड़ी को काटकर 110 मीटर लंबा (360 फीट), 9.1 मीटर चौड़ा (30 फीट) और 7.7 मीटर गहरा (25 फीट) रास्ता बना दिया। इस परियोजना को पूरा करने में उन्हें 22 साल लगे और गया जिले के अत्री और वजीरगंज ब्लॉक के बीच की दूरी 55 किमी से घटकर 15 किमी रह गई। दशरथ मांझी का निधन 17 अगस्त, 2007 को नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में हुआ था। बिहार सरकार ने उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार दिया और 2006 में समाज सेवा श्रेणी के तहत पद्म श्री पुरस्कार के लिए उनके नाम का प्रस्ताव रखा।
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