नई दिल्ली: भारतीय सेना को लंबे इंतजार के बाद स्वदेशी क्लोज क्वार्टर बैटल (CQB) कार्बाइन मिलने का रास्ता साफ हो चुका है। सेना ने दो भारतीय कंपनियों कल्याणी स्ट्रैटजिक सिस्टम और अडानी ग्रुप की रक्षा कंपनी पीएलआर सिस्टम के साथ 4.25 लाख कार्बाइन के लिए करार किया है। इस कार्बाइन को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ( DRDO ) और भारत फोर्ज ने भारतीय सशस्त्र सेना के लिए संयुक्त रूप से विकसित किया है। इस हथियार को खास तौर पर अर्बन वॉरफेयर और आतंकवाद-विरोधी अभियानों के लिए डिजाइन किया गया है।
क्लोज रेंज कॉम्बैट के लिए CQB कार्बाइन
स्वदेशी क्लोज क्वार्टर बैटल (CQB) कार्बाइन को डीआरडीओ की आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE), पुणे ने डिजाइन किया है और यह निजी क्षेत्र की भारत फोर्ज के साथ मिलकर विकसित की गई है। इस कार्बाइन की डिजाइनिंग क्लोज रेंज कॉम्बैट, जैसे कि काउंटर टेरर ऑपरेशन, बिल्डिंग में छिपे आतंकियों से मुठभेड़, भीड़ वाले या शहरी क्षेत्रों में ऑपरेशन के लिए ही की गई है। हल्की होने की वजह से जवानों के लिए इसे चलाना सामान्य असॉल्ट राइफल के मुकाबले बहुत ज्यादा आसान है।
किचन वाले प्रेशर कुकर से भी हल्की कार्रबाई
स्वदेशी क्लोज क्वार्टर बैटल (CQB) कार्बाइन में छोटी बैरल है और इसमें मॉडर्न एर्गोनॉमिक फीचर्स का इस्तेमाल की गई है, जिससे इसे तंग जगहों पर भी इस्तेमाल करना बेहद आसान हो जाता है। इसमें रैपिड फायर के लिए 30 राउंड की घुमावदार मैगजीन लगाई गई है। इसका वजन लगभग 3.3 किलो है, यानी यह किचन में इस्तेमाल होने वाले हल्के प्रेशर कुकर से भी हल्की है। लेकिन, फिर भी 200 मीटर तक की रेंज इसे बहुत ही ज्यादा घातक बना देती है। यही नहीं, इस कार्बाइन से नाटो-स्टैंडर्ड (NATO-standard) और इंसास ( INSAS ammunition ) दोनों ही तरह की गोलियां दागी जा सकती हैं।
हर क्षेत्र के लिए सक्षम हथियार है CQB कार्बाइनCQB कार्बाइन में फोर्ज्ड स्टील टेक्नोलॉजी और मेटल इंजेक्शन मोल्डिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जो इसकी मारक क्षमता को भरोसेमंद और सटीक बनाती है। इसे सेना के जवानों के लिए बहुत ही शक्तिशाली हथियार माना जा रहा , जो अलग-अलग तरह की गोलियों के इस्तेमाल में सक्षम होने की वजह से इसे अलग दर्जे में रखती है। इस कार्बाइन को सभी तरह के क्षेत्रों, परिस्थतियों और सबजीरो से लेकर अत्यधिक गर्मी तक के तापमानों में भी परखा जा चुका है।
CQB कार्बाइन की प्रमुख विशेषताएं-
क्लोज रेंज कॉम्बैट के लिए CQB कार्बाइन
स्वदेशी क्लोज क्वार्टर बैटल (CQB) कार्बाइन को डीआरडीओ की आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE), पुणे ने डिजाइन किया है और यह निजी क्षेत्र की भारत फोर्ज के साथ मिलकर विकसित की गई है। इस कार्बाइन की डिजाइनिंग क्लोज रेंज कॉम्बैट, जैसे कि काउंटर टेरर ऑपरेशन, बिल्डिंग में छिपे आतंकियों से मुठभेड़, भीड़ वाले या शहरी क्षेत्रों में ऑपरेशन के लिए ही की गई है। हल्की होने की वजह से जवानों के लिए इसे चलाना सामान्य असॉल्ट राइफल के मुकाबले बहुत ज्यादा आसान है।
किचन वाले प्रेशर कुकर से भी हल्की कार्रबाई
स्वदेशी क्लोज क्वार्टर बैटल (CQB) कार्बाइन में छोटी बैरल है और इसमें मॉडर्न एर्गोनॉमिक फीचर्स का इस्तेमाल की गई है, जिससे इसे तंग जगहों पर भी इस्तेमाल करना बेहद आसान हो जाता है। इसमें रैपिड फायर के लिए 30 राउंड की घुमावदार मैगजीन लगाई गई है। इसका वजन लगभग 3.3 किलो है, यानी यह किचन में इस्तेमाल होने वाले हल्के प्रेशर कुकर से भी हल्की है। लेकिन, फिर भी 200 मीटर तक की रेंज इसे बहुत ही ज्यादा घातक बना देती है। यही नहीं, इस कार्बाइन से नाटो-स्टैंडर्ड (NATO-standard) और इंसास ( INSAS ammunition ) दोनों ही तरह की गोलियां दागी जा सकती हैं।
हर क्षेत्र के लिए सक्षम हथियार है CQB कार्बाइनCQB कार्बाइन में फोर्ज्ड स्टील टेक्नोलॉजी और मेटल इंजेक्शन मोल्डिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जो इसकी मारक क्षमता को भरोसेमंद और सटीक बनाती है। इसे सेना के जवानों के लिए बहुत ही शक्तिशाली हथियार माना जा रहा , जो अलग-अलग तरह की गोलियों के इस्तेमाल में सक्षम होने की वजह से इसे अलग दर्जे में रखती है। इस कार्बाइन को सभी तरह के क्षेत्रों, परिस्थतियों और सबजीरो से लेकर अत्यधिक गर्मी तक के तापमानों में भी परखा जा चुका है।
CQB कार्बाइन की प्रमुख विशेषताएं-
- गोली (Ammunition): 5.56x30एमएम इंसास (नाटो स्टैंडर की गोलियां दागने में भी सक्षम)
- प्रभावी रेंज: 200 मीटर तक
- मैगजीन: 30 राउंड (घुमावदार)
- वजन: लगभग 3.3 किलो
- डिजाइन की खासियत: छोटे बैरल और हल्के वजन की वजह से इस्तेमाल में अत्यधिक सुलभ
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