रायपुर:   छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षाबल के जवान अभियान चला रहे हैं। लगातार एनकाउंटर और नक्सलियों के सरेंडर हो रहे हैं। इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से एक रिपोर्ट जारी की गई है। जिसमें बताया गया है कि देश में अब कुल कितने नक्सल प्रभावित जिले हैं। इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि देश में सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित जिले कौन-कौन से है।   
   
सूत्रों ने बताया कि देश में ‘वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों’ की संख्या अप्रैल में 18 से घटकर अब 11 रह गई है। उन्हें सबसे अधिक प्रभावित जिलों, चिंताजनक जिलों और अन्य वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों के रूप में बांटा गया है।
     
छत्तीसगढ़ के तीन जिले सबसे ज्यादा प्रभावित
ताजा वर्गीकरण के मुताबिक, ‘सबसे अधिक प्रभावित जिलों’ में केवल तीन जिले बचे हैं, जिनकी संख्या एक अप्रैल को छह थी। इन तीन जिलों में छत्तीसगढ़ का बीजापुर, नारायणपुर और सुकमा शामिल हैं। वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों के अंतर्गत यह उप-श्रेणी (सबसे अधिक प्रभावित जिलों) 2015 में 35 जिलों के साथ बनाई गई थी, ताकि वहां संसाधनों की केंद्रित तैनाती सुनिश्चित की जा सके।
     
ताजा वर्गीकरण के अनुसार, चिंताजनक जिलों की श्रेणी में बचे चार जिलों में छत्तीसगढ़ का कांकेर, झारखंड का पश्चिमी सिंहभूम, मध्यप्रदेश का बालाघाट और महाराष्ट्र का गढ़चिरौली शामिल है। इस श्रेणी में उन जिलों को रखा जाता है, जहां नक्सली प्रभाव कम हो रहा है, लेकिन संसाधनों के केंद्रित विकास की अब भी आवश्यकता है। सूत्रों ने बताया कि अप्रैल में छह में से चार जिलों को इस श्रेणी से हटा दिया गया था, लेकिन समीक्षा के बाद दो को इसमें शामिल कर लिया गया।
   
छत्तीसगढ़ के कौन से जिले शामिल
ताजा वर्गीकरण के मुताबिक, ‘अन्य वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों’ में छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा, गरियाबंद और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी तथा ओडिशा का कंधमाल शामिल है। ओडिशा के आठ, छत्तीसगढ़ के छह, बिहार के चार, झारखंड के तीन, तेलंगाना के दो और आंध्र प्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र तथा पश्चिम बंगाल के एक-एक जिले शामिल हैं।
   
मार्च 2026 है टारगेट
छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार आने के बाद से नक्सल विरोधी अभियान में तेजी आई है। केंद्र सरकार ने तय किया है कि नक्सलवाद को मार्च 2026 तक पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा। सुरक्षाबल के जवान लगातार कार्रवाई कर रहे हैं।
  
सूत्रों ने बताया कि देश में ‘वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों’ की संख्या अप्रैल में 18 से घटकर अब 11 रह गई है। उन्हें सबसे अधिक प्रभावित जिलों, चिंताजनक जिलों और अन्य वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों के रूप में बांटा गया है।
छत्तीसगढ़ के तीन जिले सबसे ज्यादा प्रभावित
ताजा वर्गीकरण के मुताबिक, ‘सबसे अधिक प्रभावित जिलों’ में केवल तीन जिले बचे हैं, जिनकी संख्या एक अप्रैल को छह थी। इन तीन जिलों में छत्तीसगढ़ का बीजापुर, नारायणपुर और सुकमा शामिल हैं। वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों के अंतर्गत यह उप-श्रेणी (सबसे अधिक प्रभावित जिलों) 2015 में 35 जिलों के साथ बनाई गई थी, ताकि वहां संसाधनों की केंद्रित तैनाती सुनिश्चित की जा सके।
ताजा वर्गीकरण के अनुसार, चिंताजनक जिलों की श्रेणी में बचे चार जिलों में छत्तीसगढ़ का कांकेर, झारखंड का पश्चिमी सिंहभूम, मध्यप्रदेश का बालाघाट और महाराष्ट्र का गढ़चिरौली शामिल है। इस श्रेणी में उन जिलों को रखा जाता है, जहां नक्सली प्रभाव कम हो रहा है, लेकिन संसाधनों के केंद्रित विकास की अब भी आवश्यकता है। सूत्रों ने बताया कि अप्रैल में छह में से चार जिलों को इस श्रेणी से हटा दिया गया था, लेकिन समीक्षा के बाद दो को इसमें शामिल कर लिया गया।
छत्तीसगढ़ के कौन से जिले शामिल
ताजा वर्गीकरण के मुताबिक, ‘अन्य वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों’ में छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा, गरियाबंद और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी तथा ओडिशा का कंधमाल शामिल है। ओडिशा के आठ, छत्तीसगढ़ के छह, बिहार के चार, झारखंड के तीन, तेलंगाना के दो और आंध्र प्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र तथा पश्चिम बंगाल के एक-एक जिले शामिल हैं।
मार्च 2026 है टारगेट
छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार आने के बाद से नक्सल विरोधी अभियान में तेजी आई है। केंद्र सरकार ने तय किया है कि नक्सलवाद को मार्च 2026 तक पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा। सुरक्षाबल के जवान लगातार कार्रवाई कर रहे हैं।
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