नई दिल्ली: राजधानी में कृत्रिम बारिश की दिशा में गुरुवार को एक अहम कदम उठाया गया। पहली बार कानपुर से एयरक्राफ्ट ने उड़ान भरकर दिल्ली की ओर रुख किया। यह एक प्रारंभिक ट्रायल था, जिसका उद्देश्य मशीनरी और प्रक्रियाओं की जांच करना था। आईआईटी कानपुर के अनुसार, गुरुवार को दिल्ली में हल्के बादल मौजूद थे। हालांकि बारिश के लिए जरूरी नमी की मात्रा बेहद कम थी, इसलिए बारिश की संभावना पहले से ही कम आंकी गई थी। इसके बावजूद ट्रायल के दौरान बादलों में नमक युक्त केमिकल छोड़ा गया।
मौसम विभाग के मुताबिक, इस समय एक वेस्टर्न डिस्टर्बेंस सक्रिय है, लेकिन इसका राजधानी पर खास असर नहीं पड़ेगा। बारिश की संभावना नहीं है, हालांकि 26 से 28 अक्टूबर के बीच आंशिक बादल छाए रह सकते हैं। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि यदि बादल पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं और हवा में नमी रहती है, तो कृत्रिम बारिश का पहला पूर्ण ट्रायल इसी दौरान किया जा सकता है। आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि गुरुवार को दिल्ली में हल्के बादल थे, इसी वजह से कानपुर से एयरक्राफ्ट को उड़ाया गया। यह पहला ट्रायल नहीं था, लेकिन प्रक्रिया की जांच के लिए इसे प्रारंभिक रूप में अंजाम दिया गया।
इस प्रक्रिया से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार, क्लाउड सीडिंग के लिए सेसना एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल किया गया, जो फिलहाल मेरठ में है। अगले तीन से चार दिनों में, अगर बादलों की स्थिति अनुकूल रही, तो क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया को कभी भी पूरा किया जा सकता है। कृत्रिम बारिश के लिए पाइरोटेक्निक नामक विशेष तकनीक का उपयोग किया जाएगा। एयरक्राफ्ट के दोनों पंखों के नीचे आठ से दस पॉकेट (पाइरोटेक्निक फ्लेयर्स) लगाए गए हैं। इन पॉकेट्स में मौजूद केमिकल युक्त सॉल्ट को बटन दबाकर बादलों में छोड़ा जाएगा। फ्लेयर्स बादलों के साथ रिएक्ट कर कंडेनसेशन को बढ़ाती हैं, जिससे बारिश की संभावना बनती है।
मौसम विभाग के मुताबिक, इस समय एक वेस्टर्न डिस्टर्बेंस सक्रिय है, लेकिन इसका राजधानी पर खास असर नहीं पड़ेगा। बारिश की संभावना नहीं है, हालांकि 26 से 28 अक्टूबर के बीच आंशिक बादल छाए रह सकते हैं। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि यदि बादल पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं और हवा में नमी रहती है, तो कृत्रिम बारिश का पहला पूर्ण ट्रायल इसी दौरान किया जा सकता है। आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि गुरुवार को दिल्ली में हल्के बादल थे, इसी वजह से कानपुर से एयरक्राफ्ट को उड़ाया गया। यह पहला ट्रायल नहीं था, लेकिन प्रक्रिया की जांच के लिए इसे प्रारंभिक रूप में अंजाम दिया गया।
इस प्रक्रिया से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार, क्लाउड सीडिंग के लिए सेसना एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल किया गया, जो फिलहाल मेरठ में है। अगले तीन से चार दिनों में, अगर बादलों की स्थिति अनुकूल रही, तो क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया को कभी भी पूरा किया जा सकता है। कृत्रिम बारिश के लिए पाइरोटेक्निक नामक विशेष तकनीक का उपयोग किया जाएगा। एयरक्राफ्ट के दोनों पंखों के नीचे आठ से दस पॉकेट (पाइरोटेक्निक फ्लेयर्स) लगाए गए हैं। इन पॉकेट्स में मौजूद केमिकल युक्त सॉल्ट को बटन दबाकर बादलों में छोड़ा जाएगा। फ्लेयर्स बादलों के साथ रिएक्ट कर कंडेनसेशन को बढ़ाती हैं, जिससे बारिश की संभावना बनती है।
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