नई दिल्ली: गौतम अडानी के नेतृत्व वाला अडानी ग्रुप जेपी एसोसिएट्स (जेएएल) के अधिग्रहण में सबसे आगे निकल सकता है। जेएएल के लेनदारों की समिति (CoC) ने अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड की बोली को सबसे बेहतर माना है। अडानी ग्रुप का दो साल में भुगतान करने का प्रस्ताव है। जबकि वेदांता ग्रुप पांच साल में भुगतान करने की बात कह रहा है। यह फैसला जेएएल के दिवालियापन की प्रक्रिया के तहत लिया जा रहा है। जेएएल के कारोबार में रियल एस्टेट, सीमेंट, पावर, होटल और सड़क जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
सूत्रों के मुताबिक, जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) के दिवालियापन की प्रक्रिया में अडानी ग्रुप सबसे बड़ी बोली लगाने वाला बनकर उभर सकता है। अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने जेएएल के अधिग्रहण के लिए जो प्रस्ताव दिया है, वह वेदांता ग्रुप के प्रस्ताव से बेहतर माना जा रहा है। अडानी ग्रुप ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि वह अधिग्रहण की रकम का भुगतान दो साल के अंदर कर देंगे। वहीं, वेदांता ग्रुप ने पांच साल में भुगतान करने की बात कही है। जेएएल के लेनदारों की समिति (CoC) ने पिछले हफ्ते इन प्रस्तावों पर विचार-विमर्श किया। उनकी व्यवहार्यता और व्यवहारिकता का मूल्यांकन किया।
सितंबर में वेदांता ग्रुप था रेस में सबसे आगे
सितंबर की शुरुआत में माइनिंग क्षेत्र की बड़ी कंपनी वेदांता ग्रुप ने जेएएल के अधिग्रहण की नीलामी में अडानी ग्रुप को पीछे छोड़ दिया था। वेदांता ने जेएएल के लिए 12,505 करोड़ रुपये की नेट प्रेजेंट वैल्यू (एनपीवी) की बोली लगाई थी। जेएएल के कारोबार में रियल एस्टेट, सीमेंट, पावर, होटल और सड़क जैसे कई क्षेत्र शामिल हैं।
इस नीलामी प्रक्रिया में डालमिया सीमेंट (भारत) लिमिटेड, जिंदल पावर लिमिटेड और पीएनसी इन्फ्राटेक लिमिटेड ने बोली नहीं लगाई थी। बाद में जेएएल के लेनदारों ने इन पांचों बोलीदाताओं के साथ बातचीत की ताकि बोली की रकम बढ़ाई जा सके और लेनदारों को ज्यादा से ज्यादा पैसा मिल सके।
14 अक्टूबर को इन पांचों बोलीदाताओं ने सीलबंद लिफाफों में अपने नए और संशोधित प्रस्ताव जमा किए। इन प्रस्तावों का मूल्यांकन जेएएल के लेनदारों की समिति (CoC) ने किया।
अचानक सीन हो गया है चेंज
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जेएएल की कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स (CoC) ने पिछले हफ्ते इन प्रस्तावों पर विस्तार से चर्चा की। उनकी व्यवहार्यता और व्यवहारिकता का मूल्यांकन किया। CoC ने मूल्यांकन मैट्रिक्स के आधार पर प्रस्तावों को परखा। अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के प्रस्ताव को सबसे ऊपर रखा। इसके बाद डालमिया सीमेंट (भारत) का ऑफर दूसरे स्थान पर रहा और फिर वेदांता लिमिटेड का प्रस्ताव तीसरे स्थान पर आया।
अब अगले दो हफ्तों में CoC इन प्रस्तावों पर वोटिंग कर सकती है। यह माना जा रहा है कि डालमिया के प्रस्तावों में भुगतान जेएएल और विकास प्राधिकरण YEIDA के बीच लंबित सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा।
पिछले महीने जेएएल के पूर्व प्रमोटरों ने भी 12A के तहत लेनदारों के साथ समझौता करने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, उन्होंने अपने प्रस्ताव में फंड के स्रोत के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी थी। ऐसे प्रस्तावों का उद्देश्य अक्सर समाधान प्रक्रिया को बाधित करना होता है। इससे पहले, जेएएल के प्रमोटरों ने इस प्रक्रिया पर आपत्ति जताई थी और इसे रोकने की कोशिश की थी। लेकिन, अदालतों ने उनकी याचिका को स्वीकार नहीं किया था।
सभी हितधारकों के प्रस्तावों और उनके साथ किए जाने वाले व्यवहार के समग्र मूल्यांकन के आधार पर यह उम्मीद की जा रही है कि CoC जेएएल के समाधान और पुनरुद्धार के लिए अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के पक्ष में वोट कर सकती है।
एक साथ बहुत कुछ हाथ में आएगा
जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) के कारोबार में रियल एस्टेट, सीमेंट निर्माण, हॉस्पिटैलिटी और इंजीनियरिंग और निर्माण जैसे क्षेत्र शामिल हैं। जेएएल को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी), इलाहाबाद बेंच के 3 जून 2024 के आदेश के बाद कॉर्पोरेट इन्सॉल्वेंसी रेजोल्यूशन प्रोसेस (सीआईआरपी) में डाला गया था।
जेएएल को दिवालियापन की कार्यवाही में तब डाला गया जब कंपनी अपने कर्ज का भुगतान करने में विफल रही। रेजोल्यूशन प्रफेशनल की ओर से वित्तीय लेनदारों के लगभग 60,000 करोड़ रुपये के दावों को स्वीकार किया गया है। जेएएल के विभिन्न प्रोजेक्ट्स में एक हजार से ज्यादा घर खरीदार फंसे हुए हैं।
नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (NARCL) उन दावेदारों की सूची में सबसे ऊपर है, जिसने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के नेतृत्व वाले लेनदारों के एक समूह से जेएएल के फंसे हुए कर्ज खरीदे हैं। इस साल अप्रैल में 25 कंपनियों ने जेएएल का अधिग्रहण करने में रुचि दिखाई थी। हालांकि, जून में जेएएल ने घोषणा की कि उसे दिवालियापन प्रक्रिया के माध्यम से कंपनी के अधिग्रहण के लिए पांच बोलियां प्राप्त हुई हैं। साथ में बयाना राशि भी जमा की गई है। अडानी एंटरप्राइजेज, डालमिया सीमेंट, वेदांता ग्रुप, जिंदल पावर और पीएनसी इन्फ्राटेक ने जेएएल का अधिग्रहण करने के लिए बोलियां जमा की थीं।
सूत्रों के मुताबिक, जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) के दिवालियापन की प्रक्रिया में अडानी ग्रुप सबसे बड़ी बोली लगाने वाला बनकर उभर सकता है। अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने जेएएल के अधिग्रहण के लिए जो प्रस्ताव दिया है, वह वेदांता ग्रुप के प्रस्ताव से बेहतर माना जा रहा है। अडानी ग्रुप ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि वह अधिग्रहण की रकम का भुगतान दो साल के अंदर कर देंगे। वहीं, वेदांता ग्रुप ने पांच साल में भुगतान करने की बात कही है। जेएएल के लेनदारों की समिति (CoC) ने पिछले हफ्ते इन प्रस्तावों पर विचार-विमर्श किया। उनकी व्यवहार्यता और व्यवहारिकता का मूल्यांकन किया।
सितंबर में वेदांता ग्रुप था रेस में सबसे आगे
सितंबर की शुरुआत में माइनिंग क्षेत्र की बड़ी कंपनी वेदांता ग्रुप ने जेएएल के अधिग्रहण की नीलामी में अडानी ग्रुप को पीछे छोड़ दिया था। वेदांता ने जेएएल के लिए 12,505 करोड़ रुपये की नेट प्रेजेंट वैल्यू (एनपीवी) की बोली लगाई थी। जेएएल के कारोबार में रियल एस्टेट, सीमेंट, पावर, होटल और सड़क जैसे कई क्षेत्र शामिल हैं।
इस नीलामी प्रक्रिया में डालमिया सीमेंट (भारत) लिमिटेड, जिंदल पावर लिमिटेड और पीएनसी इन्फ्राटेक लिमिटेड ने बोली नहीं लगाई थी। बाद में जेएएल के लेनदारों ने इन पांचों बोलीदाताओं के साथ बातचीत की ताकि बोली की रकम बढ़ाई जा सके और लेनदारों को ज्यादा से ज्यादा पैसा मिल सके।
14 अक्टूबर को इन पांचों बोलीदाताओं ने सीलबंद लिफाफों में अपने नए और संशोधित प्रस्ताव जमा किए। इन प्रस्तावों का मूल्यांकन जेएएल के लेनदारों की समिति (CoC) ने किया।
अचानक सीन हो गया है चेंज
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जेएएल की कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स (CoC) ने पिछले हफ्ते इन प्रस्तावों पर विस्तार से चर्चा की। उनकी व्यवहार्यता और व्यवहारिकता का मूल्यांकन किया। CoC ने मूल्यांकन मैट्रिक्स के आधार पर प्रस्तावों को परखा। अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के प्रस्ताव को सबसे ऊपर रखा। इसके बाद डालमिया सीमेंट (भारत) का ऑफर दूसरे स्थान पर रहा और फिर वेदांता लिमिटेड का प्रस्ताव तीसरे स्थान पर आया।
अब अगले दो हफ्तों में CoC इन प्रस्तावों पर वोटिंग कर सकती है। यह माना जा रहा है कि डालमिया के प्रस्तावों में भुगतान जेएएल और विकास प्राधिकरण YEIDA के बीच लंबित सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा।
पिछले महीने जेएएल के पूर्व प्रमोटरों ने भी 12A के तहत लेनदारों के साथ समझौता करने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, उन्होंने अपने प्रस्ताव में फंड के स्रोत के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी थी। ऐसे प्रस्तावों का उद्देश्य अक्सर समाधान प्रक्रिया को बाधित करना होता है। इससे पहले, जेएएल के प्रमोटरों ने इस प्रक्रिया पर आपत्ति जताई थी और इसे रोकने की कोशिश की थी। लेकिन, अदालतों ने उनकी याचिका को स्वीकार नहीं किया था।
सभी हितधारकों के प्रस्तावों और उनके साथ किए जाने वाले व्यवहार के समग्र मूल्यांकन के आधार पर यह उम्मीद की जा रही है कि CoC जेएएल के समाधान और पुनरुद्धार के लिए अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के पक्ष में वोट कर सकती है।
एक साथ बहुत कुछ हाथ में आएगा
जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) के कारोबार में रियल एस्टेट, सीमेंट निर्माण, हॉस्पिटैलिटी और इंजीनियरिंग और निर्माण जैसे क्षेत्र शामिल हैं। जेएएल को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी), इलाहाबाद बेंच के 3 जून 2024 के आदेश के बाद कॉर्पोरेट इन्सॉल्वेंसी रेजोल्यूशन प्रोसेस (सीआईआरपी) में डाला गया था।
जेएएल को दिवालियापन की कार्यवाही में तब डाला गया जब कंपनी अपने कर्ज का भुगतान करने में विफल रही। रेजोल्यूशन प्रफेशनल की ओर से वित्तीय लेनदारों के लगभग 60,000 करोड़ रुपये के दावों को स्वीकार किया गया है। जेएएल के विभिन्न प्रोजेक्ट्स में एक हजार से ज्यादा घर खरीदार फंसे हुए हैं।
नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (NARCL) उन दावेदारों की सूची में सबसे ऊपर है, जिसने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के नेतृत्व वाले लेनदारों के एक समूह से जेएएल के फंसे हुए कर्ज खरीदे हैं। इस साल अप्रैल में 25 कंपनियों ने जेएएल का अधिग्रहण करने में रुचि दिखाई थी। हालांकि, जून में जेएएल ने घोषणा की कि उसे दिवालियापन प्रक्रिया के माध्यम से कंपनी के अधिग्रहण के लिए पांच बोलियां प्राप्त हुई हैं। साथ में बयाना राशि भी जमा की गई है। अडानी एंटरप्राइजेज, डालमिया सीमेंट, वेदांता ग्रुप, जिंदल पावर और पीएनसी इन्फ्राटेक ने जेएएल का अधिग्रहण करने के लिए बोलियां जमा की थीं।
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