राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ में स्थित मां बम्लेश्वरी धाम में हुए विवाद के बाद आदिवासी समाज बंट गया है। नवरात्रि के दौरान पंचमी भेंट को लेकर मचा हंगामा अब आदिवासी समाज के भीतर ही विभाजन का कारण बन गया है। एक ओर कुछ आदिवासी संगठनों ने मंदिर ट्रस्ट पर परंपरा नहीं मानने और समाज को दरकिनार करने का आरोप लगाकर 15 नवंबर को डोंगरगढ़ बंद का ऐलान किया है।
बलि की कोई परंपरा नहीं
वहीं, दूसरी ओर गोंड, कंवर, हलबी समाज सहित जनजाति गौरव समाज के प्रमुख पदाधिकारियों ने मंदिर प्रांगण में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस कृत्य का कड़ा विरोध जताया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि मां बम्लेश्वरी की परंपरा में बलि या पंचमी भेंट जैसी प्रथाओं का कोई स्थान नहीं है और ट्रस्ट के नियमों का सम्मान किया जाना चाहिए।
क्या कहा आदिवासी समाज ने
जनजाति गौरव समाज के प्रदेश अध्यक्ष एमडी ठाकुर ने कहा, "मां बम्लेश्वरी मंदिर न केवल डोंगरगढ़ और छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश की आस्था का प्रतीक है। हमने पहली बार पंचमी भेंट के नाम पर ऐसा आयोजन देखा, जहां बकरे और भेड़ की बलि की कोशिश की गई। माता को साड़ी, फल, फूल और नारियल भेंट चढ़ाना चाहिए, न कि हिंसक प्रथाओं को बढ़ावा देना। ट्रस्ट के नियमों के अनुसार यहां शांति और व्यवस्था बनी हुई है। इस कृत्य से पूरा समाज आहत है, इसलिए हम यहां विरोध जताने आए हैं।"
आरोप लगाया कि कुछ तत्व अनावश्यक रूप से मंदिर को विवादित बनाने की साजिश रच रहे हैं। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट में 55-60 आदिवासी सदस्य पहले से ही हैं, तो समाज का अपमान कैसे हुआ? "ट्रस्ट की सदस्यता लेने में कोई रोक-टोक नहीं है। चुनाव में भाग लें, लेकिन विवाद न फैलाएं।"
उग्र आंदोलन की चेतावनी
विवाद की जड़ नवरात्रि के पंचमी दिवस में है, जब गोंड आदिवासी समाज के एक धड़े ने राजपरिवार के वंशज राजकुमार भवानी बहादुर सिंह के नेतृत्व में पंचमी भेंट यात्रा निकाली। यात्रा के दौरान मंदिर गर्भगृह में प्रवेश की कोशिश की गई, जहां बलि प्रथा को लेकर ट्रस्ट ने रोक लगाई। राजकुमार ने सफाई दी कि वे बलि देने नहीं, बल्कि पारंपरिक पूजा करने गए थे। डोंगरगढ़ एसडीएम एम भार्गव ने बताया कि सूचना मिलते ही प्रशासनिक टीम मौके पर पहुंची और स्थिति शांतिपूर्ण बनाई। लेकिन विवाद यहीं थमा नहीं। गोंड महासभा ने तहसील में बैठक कर चेतावनी दी कि यदि परंपरा में बाधा डाली गई तो उग्र आंदोलन होगा।
बलि की कोई परंपरा नहीं
वहीं, दूसरी ओर गोंड, कंवर, हलबी समाज सहित जनजाति गौरव समाज के प्रमुख पदाधिकारियों ने मंदिर प्रांगण में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस कृत्य का कड़ा विरोध जताया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि मां बम्लेश्वरी की परंपरा में बलि या पंचमी भेंट जैसी प्रथाओं का कोई स्थान नहीं है और ट्रस्ट के नियमों का सम्मान किया जाना चाहिए।
क्या कहा आदिवासी समाज ने
जनजाति गौरव समाज के प्रदेश अध्यक्ष एमडी ठाकुर ने कहा, "मां बम्लेश्वरी मंदिर न केवल डोंगरगढ़ और छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश की आस्था का प्रतीक है। हमने पहली बार पंचमी भेंट के नाम पर ऐसा आयोजन देखा, जहां बकरे और भेड़ की बलि की कोशिश की गई। माता को साड़ी, फल, फूल और नारियल भेंट चढ़ाना चाहिए, न कि हिंसक प्रथाओं को बढ़ावा देना। ट्रस्ट के नियमों के अनुसार यहां शांति और व्यवस्था बनी हुई है। इस कृत्य से पूरा समाज आहत है, इसलिए हम यहां विरोध जताने आए हैं।"
आरोप लगाया कि कुछ तत्व अनावश्यक रूप से मंदिर को विवादित बनाने की साजिश रच रहे हैं। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट में 55-60 आदिवासी सदस्य पहले से ही हैं, तो समाज का अपमान कैसे हुआ? "ट्रस्ट की सदस्यता लेने में कोई रोक-टोक नहीं है। चुनाव में भाग लें, लेकिन विवाद न फैलाएं।"
उग्र आंदोलन की चेतावनी
विवाद की जड़ नवरात्रि के पंचमी दिवस में है, जब गोंड आदिवासी समाज के एक धड़े ने राजपरिवार के वंशज राजकुमार भवानी बहादुर सिंह के नेतृत्व में पंचमी भेंट यात्रा निकाली। यात्रा के दौरान मंदिर गर्भगृह में प्रवेश की कोशिश की गई, जहां बलि प्रथा को लेकर ट्रस्ट ने रोक लगाई। राजकुमार ने सफाई दी कि वे बलि देने नहीं, बल्कि पारंपरिक पूजा करने गए थे। डोंगरगढ़ एसडीएम एम भार्गव ने बताया कि सूचना मिलते ही प्रशासनिक टीम मौके पर पहुंची और स्थिति शांतिपूर्ण बनाई। लेकिन विवाद यहीं थमा नहीं। गोंड महासभा ने तहसील में बैठक कर चेतावनी दी कि यदि परंपरा में बाधा डाली गई तो उग्र आंदोलन होगा।
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