फिलिस्तीन-इजरायल संघर्ष की बढ़ती गंभीरता के बीच कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार की विदेश नीति पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के करीबी संबंधों को लेकर सवाल उठाए और कहा कि सरकार फिलिस्तीन के मुद्दे पर अपनी नीतिगत जिम्मेदारी से बच रही है।
सोनिया गांधी का तीखा बयान
सोनिया गांधी ने संसद में कहा,
“जब पूरे विश्व में मानवता के पक्ष में आवाज़ उठ रही है, भारत सरकार चुप्पी साधे हुए है। प्रधानमंत्री मोदी और नेतन्याहू के बीच बढ़ती दोस्ती के चलते हमारे कूटनीतिक सिद्धांत धुंधले पड़ गए हैं। क्या हम केवल दोस्ती के कारण फिलिस्तीन की पीड़ा को नजरअंदाज कर सकते हैं?”
उन्होंने कहा कि भारत को हमेशा से मानवाधिकारों और न्याय के पक्ष में खड़ा होना चाहिए था, लेकिन मौजूदा सरकार की नीतियां इस दिशा में असंवेदनशील साबित हो रही हैं।
कांग्रेस का आरोप
सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह इजरायल के पक्ष में स्पष्ट रुख अपनाकर भारत की पारंपरिक विदेश नीति और वैश्विक न्याय के सिद्धांतों से दूर जा रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को चाहिए कि वह फिलिस्तीन के प्रति निष्पक्ष और न्यायसंगत नीति अपनाए, ताकि भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि बेहतर बने और दोनों पक्षों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखे जा सकें।
सरकार की प्रतिक्रिया
केंद्र सरकार की ओर से फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि भारत की फिलिस्तीन और इजरायल दोनों के साथ मजबूत संबंध हैं और देश क्षेत्रीय स्थिरता के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।
सरकार ने पिछले कुछ समय में इजरायल के साथ आर्थिक और सुरक्षा संबंधों को मजबूत किया है, लेकिन हमेशा ही एक मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश की है।
विश्लेषकों की राय
विदेश नीति विशेषज्ञ प्रोफेसर ने कहा,
“भारत की विदेश नीति हमेशा से संतुलित रही है। फिलहाल भारत का जोर क्षेत्रीय सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारी पर है। सोनिया गांधी की आलोचना राजनीतिक जरूर है, लेकिन इसे व्यापक वैश्विक संदर्भ में देखना चाहिए।”
वहीं एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा,
“फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत की पारंपरिक नीतियों को ध्यान में रखते हुए, सरकार को दोनों देशों के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण है।”
फिलहाल स्थिति
फिलिस्तीन और इजरायल के बीच हाल के संघर्ष ने पूरे मध्य पूर्व और विश्व राजनीति को प्रभावित किया है। भारत की भूमिका पर सवाल उठना स्वाभाविक है क्योंकि देश दोनों पक्षों के साथ महत्वपूर्ण संबंध रखता है। सोनिया गांधी के आरोपों के बीच यह देखना होगा कि सरकार किस प्रकार इस संवेदनशील स्थिति को संभालती है।
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