तमिलनाडु के करूर जिले में एक राजनीतिक कार्यक्रम के दौरान मची भगदड़ ने पूरे राज्य को गमगीन कर दिया है। अब तक इस भयावह घटना में कुल 38 लोगों की मौत की पुष्टि की जा चुकी है। मृतकों में 12 पुरुष, 16 महिलाएं और 10 मासूम बच्चे शामिल हैं—जिनमें 5 लड़के और 5 बच्चियां थीं। यह जानकारी तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक जी. वेंकटरमन ने मीडिया को दी।
यह हादसा तब हुआ जब तमिलगा वेत्री कझगम (TVK) के एक बड़े जनसभा कार्यक्रम में भारी संख्या में लोग जुट गए। पार्टी प्रमुख और अभिनेता विजय इस कार्यक्रम का मुख्य चेहरा थे और उन्हें देखने के लिए हजारों लोग उमड़े। पुलिस ने बताया कि आयोजकों को कार्यक्रम स्थल की अनुमति दी गई थी और उन्होंने लगभग 10,000 लोगों की भीड़ की संभावना जताई थी, लेकिन मौके पर लगभग 27,000 लोग इकट्ठा हो गए, जिससे स्थिति बेकाबू हो गई।
डीजीपी ने बताया कि कार्यक्रम की आधिकारिक अनुमति दोपहर 3 बजे से रात 10 बजे तक की थी, लेकिन लोग सुबह 11 बजे से ही पहुंचना शुरू हो गए थे। स्थिति तब और बिगड़ गई जब विजय तय समय से कुछ घंटों की देरी से, शाम 7:40 बजे पहुंचे। तब तक मैदान में भीड़ काफी ज्यादा हो चुकी थी और न तो उन्हें पर्याप्त पीने का पानी मिला था, न ही भोजन की कोई व्यवस्था की गई थी।
सुरक्षा व्यवस्था की बात करें तो लगभग 500 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे, लेकिन जो भीड़ उमड़ी वह उस अनुमान से कहीं ज्यादा थी। पुलिस का कहना है कि उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को पहले ही निर्देश दिया था कि भीड़ को व्यवस्थित रखें, लेकिन असल में इस अप्रत्याशित भीड़ को संभालना बेहद मुश्किल साबित हुआ।
डीजीपी ने इस बात को खारिज नहीं किया कि भीड़ का नियंत्रण से बाहर होना प्रशासन की लापरवाही का नतीजा हो सकता है, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि केवल आयोजकों द्वारा दी गई संख्या के आधार पर ही सुरक्षा तैनाती की योजना बनाई गई थी। उन्होंने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को एक ‘शॉकिंग सिस्टम फेल्योर’ करार दिया।
सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं और एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन कर दिया गया है। हालांकि आयोग के प्रमुख के नाम और जांच की समयसीमा को लेकर डीजीपी ने फिलहाल कोई जानकारी साझा नहीं की है। यह आयोग हादसे की सभी परिस्थितियों की जांच करेगा और यह पता लगाएगा कि इतनी बड़ी संख्या में भीड़ कैसे एकत्र हुई और क्यों पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए थे।
यह घटना न सिर्फ तमिलनाडु बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि किसी भी बड़े जनसमूह कार्यक्रम में सुरक्षा और मूलभूत सुविधाओं की अनदेखी कितनी भयानक साबित हो सकती है। अभी राज्य में शोक की लहर है, और पीड़ित परिवारों के लिए संवेदनाएं लगातार आ रही हैं।
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