जब पेट्रोल और डीजल की कीमतें औसतन ₹100 प्रति लीटर के आसपास बनी हुई हैं, तब CNG (कंप्रेस्ड नेचुरल गैस) ने भारतीय पैसेंजर व्हीकल (कार) बाजार में अपनी मजबूत जगह बना ली है. अब लगभग हर बड़ी कार कंपनी अपने पेट्रोल मॉडल्स के साथ CNG वर्जन भी पेश कर रही है. इससे ग्राहकों को इंजन के ज्यादा विकल्प मिलते हैं और साथ ही लंबे समय में ईंधन पर काफी बचत भी होती है.
अब वो समय चला गया जब CNG को सिर्फ टैक्सी या कमर्शियल गाड़ियों का ईंधन माना जाता था. आजकल कई फीचर-भरपूर प्राइवेट कारें भी पेट्रोल-CNG बाय-फ्यूल इंजन के साथ आती हैं. इससे कार मालिक चाहें तो पेट्रोल या CNG, किसी भी फ्यूल पर गाड़ी चला सकते हैं. इससे रिफ्यूलिंग के बीच ज्यादा रेंज मिलती है और हर महीने फ्यूल खर्च में कमी आती है. कुछ कंपनियां जैसे Tata Motors और Nissan अब अपनी CNG कारों में AMT (ऑटोमेटेड मैन्युअल ट्रांसमिशन) तकनीक भी दे रही हैं, जिससे इन कारों का आकर्षण और बढ़ जाता है.
क्या CNG सच में एक साफ (क्लीन) ईंधन है?इस सवाल का जवाब है नहीं, CNG पूरी तरह से साफ ईंधन नहीं है. CNG का मतलब है Compressed Natural Gas, यानी यह प्राकृतिक गैस से बनती है, जो कि एक तरह का फॉसिल फ्यूल (जीवाश्म ईंधन) है. हालांकि, पेट्रोल या डीजल की तुलना में CNG काफी हद तक साफ ईंधन है, क्योंकि इससे प्रदूषण और धुआं बहुत कम निकलता है. CNG को क्लीन फ्यूल कहने पर बहस इसलिए होती है क्योंकि इसके उत्पादन और सप्लाई के दौरान मीथेन गैस का रिसाव होता है, जो एक बहुत ताकतवर ग्रीनहाउस गैस है और पर्यावरण के लिए हानिकारक है.
CNG को पूरी तरह साफ ईंधन क्यों नहीं कहा जा सकता?
CNG से जुड़ी सबसे बड़ी पर्यावरणीय चिंता यही है कि इसके उत्पादन और ट्रांसपोर्टेशन के दौरान मीथेन लीक हो सकती है. मीथेन एक ऐसी गैस है जो वातावरण को बहुत तेजी से गर्म करती है. थोड़ी-सी भी मीथेन लीक से ग्लोबल वार्मिंग पर बड़ा असर पड़ता है, क्योंकि इसका प्रभाव कार्बन डाइऑक्साइड से कई गुना ज्यादा होता है. यही कारण है कि CNG को पूरी तरह से क्लीन फ्यूल नहीं माना जा सकता.
ऑटोमोबाइल फ्यूल के रूप में CNG के फायदेCNG के कई बड़े फायदे भी हैं. इंजन में जलने पर यह पेट्रोल और डीजल की तुलना में बहुत कम कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ती है. यानी एक CNG गाड़ी का कार्बन फुटप्रिंट पेट्रोल या डीजल गाड़ियों से काफी कम होता है. इसके अलावा CNG से नाइट्रोजन ऑक्साइड्स और पार्टिकुलेट मैटर भी बहुत कम निकलते हैं, जो स्मॉग और वायु प्रदूषण के बड़े कारण हैं. CNG के जलने से मुख्य रूप से जलवाष्प और बहुत कम मात्रा में प्रदूषक गैसें जैसे सल्फर ऑक्साइड और काला धुआं बनता है. इसीलिए पारंपरिक पेट्रोल और डीजल के मुकाबले CNG एक काफी स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प मानी जाती है.
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