नई दिल्ली: शादी के महज एक साल बाद ही पति से तलाक लेकर अलग होने के लिए 5 करोड़ रुपये की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कड़ी नाराजगी जाहिर की। शीर्ष अदालत ने महिला की मांग को गैर मुनासिब मानते हुए दोनों (महिला और उसके पति) को सुप्रीम कोर्ट के मध्यस्थता केंद्र में भेज दिया। सुनवाई के दौरान जस्टिस जेबी पारदीवाला और केवी विश्वनाथन की पीठ ने युवक को ताकीद करते हुए सख्त टिप्पणी करते कहा, “तुम उसे वापस अपने पास बुलाकर गलती कर रहे हो, उसे (पत्नी) खुश नहीं रख पाओगे।”
पीठ ने यह टिप्पणी तब की, जब युवक ने कहा कि वह शादी को बचाना और पत्नी के साथ रखना चाहता है। पत्नी को साथ रखने के लिए युवक ने वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए महिला को आदेश देने के लिए भी मुकदमा दाखिल किया है। जस्टिस पारदीवाला ने युवक से कहा, “तुम महिला (पत्नी) को वापस अपने पास बुलाकर बड़ी गलती कर रहे हो, तुम उसे खुश नहीं रख पाओगे क्योंकि उसके सपने बहुत बड़े हैं।”
मामला भेजा गया मध्यस्थता केंद्र शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही मामले को सुलह के लिए मध्यस्था केंद्र भेज दिया और महिला को आगाह किया कि यदि वह अपने इसी रवैये और मांग पर अडिग रहती है तो हम (अदालत) ऐसा सख्त आदेश पारित करेंगे जो उसे किसी भी सूरत में पसंद नहीं आएगा। मामले की सुनवाई के दौरान पीठ यह देखकर हैरान रह गया कि अभी शादी के महज एक साल 2 माह ही हुए हैं, लेकिन महिला अपने इंजीनियर पति से तलाक के लिए 5 करोड़ मांग रही है। हालांकि महिला के पति सभी मुकदमे खत्म करने और तलाक के बदले में 35 से 40 लाख रुपये देने को तैयार हैं।
उम्मीद है महिला वाजिब मांग करेगी पीठ ने कहा है कि हम उम्मीद करते हैं कि महिला भरन पोषण लिए वाजिब मांग करेगी ताकि सभी मुकदमा खत्म किया जा सके। पीठ ने महिला और उसके पति को 5 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता केंद्र में पेश होने का निर्देश दिया है और मध्यस्थता केंद्र की रिपोर्ट आने के बाद मामले में आगे सुनवाई होगी।
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