रोहिणी व्रत 2025Image Credit source: AI
रोहिणी व्रत 2025: पंचांग के अनुसार, रोहिणी नक्षत्र के दिन मनाए जाने वाले इस व्रत को विशेष रूप से जैन धर्म और महिलाओं के बीच अत्यंत शुभ माना जाता है। वर्ष 2025 में यह व्रत 7 नवंबर, शुक्रवार को आयोजित किया जाएगा। यह व्रत मुख्य रूप से पति की दीर्घायु, परिवार की समृद्धि और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस व्रत से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी है, जिसे इस दिन पढ़ना शुभ माना जाता है।
रोहिणी व्रत से संबंधित पौराणिक कथारोहिणी व्रत से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक कथा कर्म के सिद्धांत और व्रत के महत्व को दर्शाती है। प्राचीन काल में चंपापुरी नामक नगर में राजा माधवा और रानी लक्ष्मीपति निवास करते थे। उनकी एक पुत्री थी, जिसका नाम रोहिणी था। एक बार राजा ने ज्योतिषी से अपनी पुत्री के भविष्य के बारे में पूछा। ज्योतिषी ने बताया कि रोहिणी का विवाह हस्तिनापुर के राजकुमार अशोक से होगा। साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि रोहिणी का शांत और मौन स्वभाव पूर्व जन्म के कर्मों के कारण है। तब ज्योतिषी ने रोहिणी के पूर्व जन्म की कथा सुनाई।
बहुत समय पहले, उसी नगर में धनमित्र नामक एक राजा था। उसकी एक पुत्री थी जिसका नाम दुर्गंधा था, जिसके शरीर से अत्यंत दुर्गंध आती थी। राजा धनमित्र ने बहुत धन देकर अपने मित्र वस्तुपाल के पुत्र से दुर्गंधा का विवाह करवाया। एक बार दुर्गंधा ने रानी सिंधुमती के कहने पर गलती से एक मुनिराज को कड़वी तुम्बी का भोजन खिला दिया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। इस पाप के कारण रानी सिंधुमती को कोढ़ हो गया और मृत्यु के बाद उन्हें नरक की प्राप्ति हुई। रानी सिंधुमती ही अगले जन्म में दुर्गंधा बनीं, और फिर कई जन्मों के बाद वह राजा माधवा की पुत्री रोहिणी के रूप में जन्मीं।
एक साधु के कहने पर, रोहिणी ने अपने पूर्व जन्म के पापों से मुक्ति और जीवन में सुख-शांति के लिए पूर्ण श्रद्धा से रोहिणी व्रत का पालन करना शुरू किया। उन्होंने हर महीने रोहिणी नक्षत्र के दिन व्रत रखा और भगवान वासुपूज्य स्वामी की पूजा की। रोहिणी व्रत के प्रभाव से उनके सभी कष्ट दूर हो गए। उनका विवाह राजकुमार अशोक से हुआ और वे सुखी जीवन जीने लगे।
आखिर में, व्रत के प्रभाव से उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हुई और फिर मोक्ष को प्राप्त किया। तभी से यह मान्यता है कि जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से रोहिणी व्रत करता है, उसे सभी प्रकार के दुखों, दरिद्रता और कर्मों के बंधनों से मुक्ति मिलती है। महिलाओं के लिए यह व्रत विशेष रूप से उनके पति के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए फलदायी होता है।
रोहिणी व्रत का महत्वरोहिणी व्रत हर महीने उस दिन रखा जाता है, जब चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है। यह व्रत जैन समुदाय के प्रमुख व्रतों में से एक है, लेकिन अन्य समुदायों में भी इसे श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है। पति की दीर्घायु और सुख-शांति: इस व्रत को विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र और उनके जीवन में सुख-शांति की कामना के साथ रखती हैं। जैन मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत आत्मा के विकारों को दूर कर व्यक्ति को कर्म बंधन से मुक्त करने और मोक्ष प्राप्त करने में सहायक है। रोहिणी व्रत के प्रभाव से घर में धन-धान्य, सुख-समृद्धि आती है और आर्थिक समस्याएँ दूर होती हैं। इस दिन विशेष रूप से जैन धर्म के 12वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य स्वामी और चंद्रदेव की पूजा की जाती है.
You may also like

पाकिस्तान की बेशर्मी देखिए, पहले हिंदुओं को बॉर्डर से लौटाया और अब खुलेआम बोल रहा झूठ, भारत पर ही लगा दिया आरोप

पति से अलगाव के बीच माही विज हुईं बीमार, अस्पताल के बिस्तर से आई दिल दुखाने वाली तस्वीर, लोगों को बेटी की चिंता

Multibagger Stock: एक साल में करीब पांच गुने का रिटर्न, मिल रहा है एक पर एक शेयर का बोनस, क्या करती है कंपनी

यूरोपा लीग: एस्टन विला ने मकाबी तेल अवीव को 2-0 से हराया, मैच के दौरान प्रदर्शन और गिरफ्तारियां

बिहार में एनडीए की 160 से अधिक सीटों के साथ बनेगी सरकार : जेपी नड्डा




