साडूमा ना गरबाImage Credit source: Instagram/@awesome.amdavad
नवरात्र के अवसर पर गरबा का उत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन अहमदाबाद के साडू माता नी पोल क्षेत्र में एक विशेष रस्म ने सभी का ध्यान खींचा है। यहां के पुरुष हर साल साड़ी पहनकर गरबा नृत्य करते हैं। यह केवल एक नृत्य नहीं है, बल्कि 200 साल पुरानी एक श्राप से मुक्ति पाने की कहानी है।
हाल ही में इस रस्म का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें इसे साड़ी गरबा अनुष्ठान के नाम से जाना जाता है। यह रस्म हर साल नवरात्रि की आठवीं रात को बरोट समुदाय के पुरुषों द्वारा निभाई जाती है।
200 साल पुरानी परंपरा का रहस्यस्थानीय मान्यता के अनुसार, 200 साल पहले साडूबेन नाम की एक महिला ने मुगल रईस से खुद को बचाने के लिए बरोट समुदाय के पुरुषों से सहायता मांगी थी। जब पुरुषों ने उनकी मदद नहीं की, तो साडूबेन ने अपना बच्चा खो दिया और क्रोधित होकर उन्हें श्राप दिया कि उनकी आने वाली पीढ़ियां कायर होंगी। इसके बाद उन्होंने सती होने का निर्णय लिया। इस श्राप के प्रति प्रायश्चित और सम्मान व्यक्त करने के लिए बरोट समुदाय के पुरुष हर साल साड़ी पहनकर गरबा करते हैं।
इस वीडियो को 30 लाख से अधिक बार देखा जा चुका है और इसे 83 हजार से ज्यादा लाइक मिले हैं। कमेंट सेक्शन में लोग पुरुषों की साहस और समर्पण की प्रशंसा कर रहे हैं।
एक यूजर ने लिखा, "धन्य हैं वे लोग जिन्होंने परंपरा को बनाए रखा है।" दूसरे ने कहा, "ओ स्त्री कल आना टाइप वाइब दे रहा है।" एक अन्य यूजर ने लिखा, "देवी की भक्ति देवी रूप में।"
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