नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया (NPCI) ने UPI को और बेहतर बनाने के लिए एक नया नियम लागू करने का फैसला किया है। इस नए नियम के तहत अब यूजर्स किसी भी UPI ऐप से अपनी सभी एक्टिव मंड़ेट्स देख सकेंगे, चाहे वे मंड़ेट्स किसी दूसरे ऐप पर हों। साथ ही, यूजर्स को अपनी सुविधा के हिसाब से मंड़ेट्स को एक ऐप से दूसरे ऐप में पोर्ट करने का भी अधिकार मिलेगा। इसका मतलब है कि आपको अब अपनी नियमित UPI पेमेंट्स की जानकारी अलग-अलग ऐप्स में ढूंढनी नहीं पड़ेगी। यह नया नियम 31 दिसंबर 2025 तक सभी UPI ऐप्स और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स (PSPs) को लागू करना होगा। NPCI ने यह भी साफ किया है कि इस प्रक्रिया में यूजर को कोई दबाव या इन्सेन्टिव नहीं दिया जाएगा, जैसे कैशबैक या नोटिफिकेशन। इसके अलावा, UPI में नए ऑथेंटिकेशन तरीके भी जोड़े गए हैं, जिनमें फेस और बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन शामिल हैं, जो ट्रांजेक्शन को और सुरक्षित बनाएंगे। यह कदम UPI को और ट्रांसपेरेंट, आसान और सुरक्षित बनाने के लिए उठाया गया है।
नया UPI मंड़ेट सिस्टमअब यूजर अपनी सभी एक्टिव UPI मंड़ेट्स को किसी भी UPI ऐप पर देख सकेंगे। उदाहरण के लिए, अगर आपके पास गूगल पे पर एक मंड़ेट है और फोनपे पर दूसरा, तो आप दोनों को किसी भी ऐप पर देख पाएंगे। इससे आपके लिए अपनी फाइनेंसियल योजना बनाना आसान हो जाएगा। इसके अलावा, अब आप अपनी मंड़ेट्स को एक ऐप से दूसरे ऐप में भी ट्रांसफर यानी पोर्ट कर सकेंगे। इससे यूजर को ऐप बदलने में आसानी होगी और वे अपनी पसंद के अनुसार पेमेंट ऐप इस्तेमाल कर सकेंगे। NPCI ने स्पष्ट किया है कि यह सुविधा पूरी तरह से यूजर के कंट्रोल में होगी। मंड़ेट पोर्ट करना यूजर की मर्जी से ही होगा, बिना किसी दबाव या इन्सेन्टिव के।
UPI ऐप्स और PSPs के लिए क्या नियम हैं
NPCI ने UPI ऐप्स और PSPs (जैसे बैंक या पेमेंट प्रोवाइडर्स) को निर्देश दिया है कि वे अपनी ऐप में ‘Manage Bank Accounts’ या ‘UPI Autopay’ नाम से एक खास सेक्शन बनाएंगे, जहां यूजर अपनी मंड़ेट्स को देख, मैनेज और पोर्ट कर सकेगा। इस पूरी प्रक्रिया में किसी भी तरह के कैशबैक, डिस्काउंट, नोटिफिकेशन, या अन्य प्रचार यूजर को मंड़ेट पोर्ट करने के लिए नहीं दी जाएगी। यह सुनिश्चित किया गया है कि यूजर को मंड़ेट पोर्टिंग के लिए कोई गलत तरीका या दबाव न दिया जाए। इसके अलावा, ऐप्स मंड़ेट की जानकारी का उपयोग किसी अन्य काम के लिए नहीं कर सकेंगे। यानी आपकी जानकारी सुरक्षित और गोपनीय रहेगी।
UPI में नए ऑथेंटिकेशन तरीकेNPCI ने UPI पेमेंट्स की सुरक्षा बढ़ाने के लिए नए ऑथेंटिकेशन तरीके भी पेश किए हैं। अब यूजर्स PIN सेट या रीसेट करते समय फेस ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल कर सकेंगे। साथ ही, 5,000 रुपये तक के UPI ट्रांजेक्शन के लिए मोबाइल डिवाइस के बायोमेट्रिक फीचर (जैसे फिंगरप्रिंट) का उपयोग किया जा सकेगा। यह नया तरीका ट्रांजेक्शन को तेज और ज्यादा सुरक्षित बनाएगा। NPCI ने यह भी कहा है कि 5,000 रुपये की लिमिट को भविष्य में जरूरत के हिसाब से बदला जा सकता है।
नया UPI मंड़ेट सिस्टमअब यूजर अपनी सभी एक्टिव UPI मंड़ेट्स को किसी भी UPI ऐप पर देख सकेंगे। उदाहरण के लिए, अगर आपके पास गूगल पे पर एक मंड़ेट है और फोनपे पर दूसरा, तो आप दोनों को किसी भी ऐप पर देख पाएंगे। इससे आपके लिए अपनी फाइनेंसियल योजना बनाना आसान हो जाएगा। इसके अलावा, अब आप अपनी मंड़ेट्स को एक ऐप से दूसरे ऐप में भी ट्रांसफर यानी पोर्ट कर सकेंगे। इससे यूजर को ऐप बदलने में आसानी होगी और वे अपनी पसंद के अनुसार पेमेंट ऐप इस्तेमाल कर सकेंगे। NPCI ने स्पष्ट किया है कि यह सुविधा पूरी तरह से यूजर के कंट्रोल में होगी। मंड़ेट पोर्ट करना यूजर की मर्जी से ही होगा, बिना किसी दबाव या इन्सेन्टिव के।
UPI ऐप्स और PSPs के लिए क्या नियम हैं
NPCI ने UPI ऐप्स और PSPs (जैसे बैंक या पेमेंट प्रोवाइडर्स) को निर्देश दिया है कि वे अपनी ऐप में ‘Manage Bank Accounts’ या ‘UPI Autopay’ नाम से एक खास सेक्शन बनाएंगे, जहां यूजर अपनी मंड़ेट्स को देख, मैनेज और पोर्ट कर सकेगा। इस पूरी प्रक्रिया में किसी भी तरह के कैशबैक, डिस्काउंट, नोटिफिकेशन, या अन्य प्रचार यूजर को मंड़ेट पोर्ट करने के लिए नहीं दी जाएगी। यह सुनिश्चित किया गया है कि यूजर को मंड़ेट पोर्टिंग के लिए कोई गलत तरीका या दबाव न दिया जाए। इसके अलावा, ऐप्स मंड़ेट की जानकारी का उपयोग किसी अन्य काम के लिए नहीं कर सकेंगे। यानी आपकी जानकारी सुरक्षित और गोपनीय रहेगी।
UPI में नए ऑथेंटिकेशन तरीकेNPCI ने UPI पेमेंट्स की सुरक्षा बढ़ाने के लिए नए ऑथेंटिकेशन तरीके भी पेश किए हैं। अब यूजर्स PIN सेट या रीसेट करते समय फेस ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल कर सकेंगे। साथ ही, 5,000 रुपये तक के UPI ट्रांजेक्शन के लिए मोबाइल डिवाइस के बायोमेट्रिक फीचर (जैसे फिंगरप्रिंट) का उपयोग किया जा सकेगा। यह नया तरीका ट्रांजेक्शन को तेज और ज्यादा सुरक्षित बनाएगा। NPCI ने यह भी कहा है कि 5,000 रुपये की लिमिट को भविष्य में जरूरत के हिसाब से बदला जा सकता है।
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