अगर आपने अलग-अलग म्यूचुअल फंड्स में SIP शुरू कर रखी है और अब लगने लगा है कि पोर्टफोलियो बहुत बिखरा हुआ है, तो यह बहुत आम बात है। ऐसा तब होता है जब निवेशक हर अच्छे फंड में थोड़ा-थोड़ा पैसा लगाते रहते हैं, लेकिन यह समझ नहीं पाते कि कितने फंड्स रखना सही है और कौन-से फंड्स वास्तव में जरूरी हैं। इस पर ETWealth की रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सपर्ट रवि कुमार ने बताया है कि निवेशकों को क्या करना चाहिए।
ज्यादा फंड्स मतलब ज्यादा डाइवर्सिफिकेशन नहीं
गैनिंग ग्राउंड इन्वेस्टमेंट सर्विसेज के टीवी डायरेक्टर रवि कुमार अनुसार, जरूरी नहीं कि ज्यादा फंड्स का मतलब ज्यादा डाइवर्सिफिकेशन हो। असली बात यह है कि हर फंड एक-दूसरे से कितना अलग है और उनके निवेश का तरीका (स्टाइल) कितना संतुलित है। अगर सभी फंड्स एक जैसे शेयरों में निवेश कर रहे हैं, तो संख्या बढ़ाने से कोई फायदा नहीं होगा।
हर फंड की अपनी अलग इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी
उन्होंने बताया कि हर इक्विटी फंड का अपना स्टाइल होता है। कुछ फंड्स ग्रोथ स्टॉक्स पर फोकस करते हैं, कुछ वैल्यू या क्वालिटी स्टॉक्स को चुनते हैं। मार्केट के अलग-अलग फेज में इन स्टाइल्स का परफॉर्मेंस बदलता रहता है। इसलिए पोर्टफोलियो में ऐसे फंड्स शामिल करें जिनकी इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी एक-दूसरे से अलग हो।
5–6 फंड्स होते हैं काफी
रवि कुमार के अनुसार, अगर आप अपने निवेश की नियमित रूप से निगरानी करते हैं और हर स्कीम का उद्देश्य समझते हैं, तो 5 से 6 म्यूचुअल फंड्स पर्याप्त हैं। असली बात यह है कि हर फंड की भूमिका अलग हो और उनमें ओवरलैप यानी एक जैसी कंपनियों में बार-बार निवेश न हो।
फ्लेक्सी-कैप या मल्टी-कैप में से क्या चुनें
उन्होंने कहा कि अगर आप चाहते हैं कि आपका फंड मार्केट की स्थिति के अनुसार बदलता रहे, तो फ्लेक्सी-कैप फंड्स आपके लिए बेहतर रहेंगे। लेकिन अगर आप हर मार्केट सेगमेंट-लार्ज, मिड और स्मॉल-कैप में बराबर निवेश चाहते हैं, तो मल्टी-कैप फंड्स बेहतर ऑप्शन हैं।
लंबी अवधि के निवेश के लिए सही कॉम्बिनेशन
लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए दोनों तरह के फंड्स का मिश्रण अच्छा काम करता है। अपने पोर्टफोलियो का मुख्य हिस्सा 1-2 फ्लेक्सी-कैप फंड्स को दें, क्योंकि ये समय के साथ खुद को एडजस्ट कर सकते हैं। इसके साथ ही, 1 मल्टी-कैप या मिड/स्मॉल-कैप फंड जोड़ें ताकि ग्रोथ और डाइवर्सिफिकेशन दोनों का फायदा मिले।
निवेश में स्पष्टता सबसे जरूरी
लास्ट में एक्सपर्ट का कहना है कि फंड्स की संख्या से ज्यादा जरूरी है निवेश का उद्देश्य साफ होना। अगर आपके पोर्टफोलियो में स्पष्टता है, निवेश स्टाइल अलग-अलग हैं और आप समय-समय पर समीक्षा करते हैं, तो आपका निवेश ज्यादा प्रभावी और फायदेमंद रहेगा।
डिस्क्लेमर : जो राय और सुझाव एक्सपर्ट/ब्रोकरेज देते हैं, वे उनकी अपनी सोच हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिदीं की राय नहीं होती।
ज्यादा फंड्स मतलब ज्यादा डाइवर्सिफिकेशन नहीं
गैनिंग ग्राउंड इन्वेस्टमेंट सर्विसेज के टीवी डायरेक्टर रवि कुमार अनुसार, जरूरी नहीं कि ज्यादा फंड्स का मतलब ज्यादा डाइवर्सिफिकेशन हो। असली बात यह है कि हर फंड एक-दूसरे से कितना अलग है और उनके निवेश का तरीका (स्टाइल) कितना संतुलित है। अगर सभी फंड्स एक जैसे शेयरों में निवेश कर रहे हैं, तो संख्या बढ़ाने से कोई फायदा नहीं होगा।
हर फंड की अपनी अलग इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी
उन्होंने बताया कि हर इक्विटी फंड का अपना स्टाइल होता है। कुछ फंड्स ग्रोथ स्टॉक्स पर फोकस करते हैं, कुछ वैल्यू या क्वालिटी स्टॉक्स को चुनते हैं। मार्केट के अलग-अलग फेज में इन स्टाइल्स का परफॉर्मेंस बदलता रहता है। इसलिए पोर्टफोलियो में ऐसे फंड्स शामिल करें जिनकी इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी एक-दूसरे से अलग हो।
5–6 फंड्स होते हैं काफी
रवि कुमार के अनुसार, अगर आप अपने निवेश की नियमित रूप से निगरानी करते हैं और हर स्कीम का उद्देश्य समझते हैं, तो 5 से 6 म्यूचुअल फंड्स पर्याप्त हैं। असली बात यह है कि हर फंड की भूमिका अलग हो और उनमें ओवरलैप यानी एक जैसी कंपनियों में बार-बार निवेश न हो।
फ्लेक्सी-कैप या मल्टी-कैप में से क्या चुनें
उन्होंने कहा कि अगर आप चाहते हैं कि आपका फंड मार्केट की स्थिति के अनुसार बदलता रहे, तो फ्लेक्सी-कैप फंड्स आपके लिए बेहतर रहेंगे। लेकिन अगर आप हर मार्केट सेगमेंट-लार्ज, मिड और स्मॉल-कैप में बराबर निवेश चाहते हैं, तो मल्टी-कैप फंड्स बेहतर ऑप्शन हैं।
लंबी अवधि के निवेश के लिए सही कॉम्बिनेशन
लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए दोनों तरह के फंड्स का मिश्रण अच्छा काम करता है। अपने पोर्टफोलियो का मुख्य हिस्सा 1-2 फ्लेक्सी-कैप फंड्स को दें, क्योंकि ये समय के साथ खुद को एडजस्ट कर सकते हैं। इसके साथ ही, 1 मल्टी-कैप या मिड/स्मॉल-कैप फंड जोड़ें ताकि ग्रोथ और डाइवर्सिफिकेशन दोनों का फायदा मिले।
निवेश में स्पष्टता सबसे जरूरी
लास्ट में एक्सपर्ट का कहना है कि फंड्स की संख्या से ज्यादा जरूरी है निवेश का उद्देश्य साफ होना। अगर आपके पोर्टफोलियो में स्पष्टता है, निवेश स्टाइल अलग-अलग हैं और आप समय-समय पर समीक्षा करते हैं, तो आपका निवेश ज्यादा प्रभावी और फायदेमंद रहेगा।
डिस्क्लेमर : जो राय और सुझाव एक्सपर्ट/ब्रोकरेज देते हैं, वे उनकी अपनी सोच हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिदीं की राय नहीं होती।
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