टेक्नोलॉजी में अपडेट रहना काफी जरूरी है। यह एयर ट्रैफिक कंट्रोल ( ATC ) सिस्टम के साथ हुआ। दरअसल, नवंबर-दिसंबर में नॉर्थ इंडिया में कोहरे के कारण कई फ्लाइट्स लेट से या फिर कैंसिल होती है। ऐसे में एयरपोर्ट्स कोहरे से निपटने की तैयारी करते हैं। लेकिन, इस बार दिल्ली एयरपोर्ट का एटीसी सिस्टम क्रैश हो गया। इस सिस्टम के क्रैश होने का सबसे बड़ा कारण टेक्नोलॉजी है। चलिए, जानते हैं कि एटीसी सिस्टम क्यों क्रैश हुआ और इस पर एयरपोर्ट अथॉरिटी ने क्या कदम उठाया।
एटीसी सिस्टम क्रैश होने के कारण दिल्ली एयरपोर्ट से करीब 800 फ्लाइट्स लेट हो गई। कई फ्लाइट्स कैंसिल भी हुई। फ्लाइट्स के कैंसिल होने और लेट होने पर सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। कुछ लोगों ने यह कहा कि शायद GPS Spoofing यानी GPS सिग्नल में छेड़छाड़ हुई है। हालांकि, एयरपोर्ट अथोरिटी ने साफ किया कि एटीसी सिस्टम क्रैश हुआ है।
क्यों क्रैश हुआ सिस्टम?
7 नवंबर को ATC का ऑटोमेशन सिस्टम फेल हो गया। बता दें कि जब कोई विमान उड़ान भरने की तैयारी करता है, तो ATC को उसकी पूरी जानकारी चाहिए होती है। जैसे वो कहां जाएगा, कौन-सा रूट लेगा, कौन-सी ऊंचाई पर उड़ेगा और विमान में क्या-क्या उपकरण हैं।
ये सारी जानकारी एक “फ्लाइट प्लान मैसेज” में होती है जो सिस्टम अपने आप भेज देता है। लेकिन इस बार वो सारे मैसेज एक “Error Queue” में फंस गए और आगे नहीं बढ़े। इसका मतलब है कि सिस्टम को ये ही नहीं समझ आया कि कौन-सा मैसेज कहां भेजना है। इस वजह से एयरपोर्ट के सर्वर ओवरलोड हो गए और पूरा सिस्टम बैठ गया। सिस्टम क्रैश होने के बाद एटीसी स्टाफ को सारी फ्लाइट जानकारी मैन्यली यानी ईमेल या फैक्स से करनी पड़ी। इसमें बहुत टाइम लगा। इस वजह से फ्लाइट्स लगातार लेट होने लगी।
अब सवाल आता है कि एटीसी का सिस्टम क्यों क्रैश हुआ? बता दें कि दिल्ली एयरपोर्ट में Automatic Message Switching System (AMSS) यूज होता है। ये सिस्टम 20–25 साल पुराना है। इसे बीच-बीच में थोड़ा अपग्रेड किया गया, लेकिन इसका कोर सॉफ्टवेयर पुराना ही रहा।
सिस्टम क्रैश होने के बाद एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया( Airports Authority of India ) ने नया सिस्टम AMHS (Automatic Message Handling System) खरीद लिया है। यह सिस्टम पुराने सिस्टम से ज्यादा एडवांस है, लेकिन अभी तक यह पूरी तरह से लागू नहीं हुआ है।
बता दें कि नए सिस्टम की टेस्टिंग, सेफ्टी चेक और ट्रांजिशन में समय लग रहा है। AAI को डर है कि नया सिस्टम शुरू करते वक्त कुछ दिक्कत न आ जाए, इसलिए वो अब तक पुराने पर ही चल रहे हैं।
DGCA ने शुरू की जांच
इस घटना के बाद DGCA (Directorate General of Civil Aviation) ने जांच शुरू कर दी है। केंद्रीय एविएशन मंत्री राम मोहन नायडू और AAI चेयरमैन विपिन कुमार खुद दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे। सिस्टम क्रैश एक तीन सदस्यीय कमिटी बनाई गई है जो ये देखेगी कि गड़बड़ी कैसे हुई और इसे कैसे रोका जा सकता है। जांच में ये भी कहा गया कि GPS Spoofing जैसी कोई बात नहीं थी, क्योंकि ये सिस्टम सैटेलाइट पर नहीं बल्कि इंटरनल नेटवर्क पर चलता है।
AAI पूरे देश में 16 ऐसे AMSS सिस्टम चला रही है। अभी हर शहर का सिस्टम अलग-अलग है, इसलिए अगर दिल्ली वाला फेल हो जाए, तो बाकी देश पर असर नहीं पड़ता। लेकिन नए AMHS सिस्टम में एक नेशनल नेटवर्क होगा। इसका मतलब है कि अगर वो फेल हुआ, तो पूरे देश की फ्लाइट्स पर असर पड़ेगा। इसको लेकर एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि अब वक्त आ गया है कि AAI लॉन्ग-टर्म प्लान बनाए, ताकि पुराने सिस्टम की जगह धीरे-धीरे नए और भरोसेमंद सिस्टम लाए जा सकें।
आपको बता दें कि दिल्ली एयरपोर्ट से रोजाना 1,500 फ्लाइट्स ऑपरेट होती है, जहां 10 साल पहले इसकी संख्या करीब 10,000 थी। अगले साल से नोएडा एयरपोर्ट भी शुरू होगा। ऐसे में एयर ट्रैफिक बढ़ेगा।
एटीसी सिस्टम क्रैश होने के कारण दिल्ली एयरपोर्ट से करीब 800 फ्लाइट्स लेट हो गई। कई फ्लाइट्स कैंसिल भी हुई। फ्लाइट्स के कैंसिल होने और लेट होने पर सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। कुछ लोगों ने यह कहा कि शायद GPS Spoofing यानी GPS सिग्नल में छेड़छाड़ हुई है। हालांकि, एयरपोर्ट अथोरिटी ने साफ किया कि एटीसी सिस्टम क्रैश हुआ है।
क्यों क्रैश हुआ सिस्टम?
7 नवंबर को ATC का ऑटोमेशन सिस्टम फेल हो गया। बता दें कि जब कोई विमान उड़ान भरने की तैयारी करता है, तो ATC को उसकी पूरी जानकारी चाहिए होती है। जैसे वो कहां जाएगा, कौन-सा रूट लेगा, कौन-सी ऊंचाई पर उड़ेगा और विमान में क्या-क्या उपकरण हैं।
ये सारी जानकारी एक “फ्लाइट प्लान मैसेज” में होती है जो सिस्टम अपने आप भेज देता है। लेकिन इस बार वो सारे मैसेज एक “Error Queue” में फंस गए और आगे नहीं बढ़े। इसका मतलब है कि सिस्टम को ये ही नहीं समझ आया कि कौन-सा मैसेज कहां भेजना है। इस वजह से एयरपोर्ट के सर्वर ओवरलोड हो गए और पूरा सिस्टम बैठ गया। सिस्टम क्रैश होने के बाद एटीसी स्टाफ को सारी फ्लाइट जानकारी मैन्यली यानी ईमेल या फैक्स से करनी पड़ी। इसमें बहुत टाइम लगा। इस वजह से फ्लाइट्स लगातार लेट होने लगी।
अब सवाल आता है कि एटीसी का सिस्टम क्यों क्रैश हुआ? बता दें कि दिल्ली एयरपोर्ट में Automatic Message Switching System (AMSS) यूज होता है। ये सिस्टम 20–25 साल पुराना है। इसे बीच-बीच में थोड़ा अपग्रेड किया गया, लेकिन इसका कोर सॉफ्टवेयर पुराना ही रहा।
सिस्टम क्रैश होने के बाद एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया( Airports Authority of India ) ने नया सिस्टम AMHS (Automatic Message Handling System) खरीद लिया है। यह सिस्टम पुराने सिस्टम से ज्यादा एडवांस है, लेकिन अभी तक यह पूरी तरह से लागू नहीं हुआ है।
बता दें कि नए सिस्टम की टेस्टिंग, सेफ्टी चेक और ट्रांजिशन में समय लग रहा है। AAI को डर है कि नया सिस्टम शुरू करते वक्त कुछ दिक्कत न आ जाए, इसलिए वो अब तक पुराने पर ही चल रहे हैं।
DGCA ने शुरू की जांच
इस घटना के बाद DGCA (Directorate General of Civil Aviation) ने जांच शुरू कर दी है। केंद्रीय एविएशन मंत्री राम मोहन नायडू और AAI चेयरमैन विपिन कुमार खुद दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे। सिस्टम क्रैश एक तीन सदस्यीय कमिटी बनाई गई है जो ये देखेगी कि गड़बड़ी कैसे हुई और इसे कैसे रोका जा सकता है। जांच में ये भी कहा गया कि GPS Spoofing जैसी कोई बात नहीं थी, क्योंकि ये सिस्टम सैटेलाइट पर नहीं बल्कि इंटरनल नेटवर्क पर चलता है।
AAI पूरे देश में 16 ऐसे AMSS सिस्टम चला रही है। अभी हर शहर का सिस्टम अलग-अलग है, इसलिए अगर दिल्ली वाला फेल हो जाए, तो बाकी देश पर असर नहीं पड़ता। लेकिन नए AMHS सिस्टम में एक नेशनल नेटवर्क होगा। इसका मतलब है कि अगर वो फेल हुआ, तो पूरे देश की फ्लाइट्स पर असर पड़ेगा। इसको लेकर एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि अब वक्त आ गया है कि AAI लॉन्ग-टर्म प्लान बनाए, ताकि पुराने सिस्टम की जगह धीरे-धीरे नए और भरोसेमंद सिस्टम लाए जा सकें।
आपको बता दें कि दिल्ली एयरपोर्ट से रोजाना 1,500 फ्लाइट्स ऑपरेट होती है, जहां 10 साल पहले इसकी संख्या करीब 10,000 थी। अगले साल से नोएडा एयरपोर्ट भी शुरू होगा। ऐसे में एयर ट्रैफिक बढ़ेगा।
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